क्या बस चालकों की हर तीन महीने में मेडिकल और फिटनेस जांच अनिवार्य होनी चाहिए?

सारांश
Key Takeaways
- बस चालकों की नियमित मेडिकल जांच अनिवार्य होनी चाहिए।
- आंखों की जांच विशेष रूप से आवश्यक है।
- सड़क सुरक्षा को लेकर जन जागरूकता अभियान चलाना होगा।
- इलेक्ट्रिक बस सेवा का विकास महत्वपूर्ण है।
- परिवहन विभाग को आधुनिक और प्रतिस्पर्धी बनाना होगा।
लखनऊ, 6 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह स्पष्ट किया कि हर तीन महीने में बस चालकों की मेडिकल और फिटनेस जांच अनिवार्य होनी चाहिए। उन्होंने सख्त निर्देश दिए कि फाइलों को लटकाने की प्रवृत्ति को समाप्त करना होगा। जनसुनवाई को तेजी से आगे बढ़ाने की आवश्यकता है और विभाग में टीम वर्क को और अधिक सशक्त बनाना होगा, ताकि परिणाम शीघ्र प्राप्त किए जा सकें।
मुख्यमंत्री योगी ने लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में परिवहन विभाग की विभिन्न सेवाओं का शुभारंभ और डिजिटल लोकार्पण किया। उन्होंने निर्देशित किया कि बस चालकों का नियमित मेडिकल और फिजिकल फिटनेस टेस्ट हर तीन महीने में अनिवार्य रूप से किया जाए। खासकर आंखों की जांच अत्यंत आवश्यक है ताकि दृष्टि दोष के कारण होने वाली दुर्घटनाओं से बचा जा सके।
उन्होंने कहा कि सड़क पर गाड़ी चलाने में कोई लापरवाही नहीं बरती जानी चाहिए। उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के पास देश में सबसे बड़ा बेड़ा है। इतनी बड़ी संख्या में सेवाएं देना एक उपलब्धि है, लेकिन इसके साथ ही चुनौतियों का सामना भी करना पड़ता है। रक्षाबंधन पर बहनों को तीन दिनों तक मुफ्त बस यात्रा की पहल को उन्होंने सराहनीय बताया और कहा कि विभाग को भविष्य में इसी तरह की सेवाओं का प्रभावी प्रचार करना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति, समाज या राष्ट्र समय की गति से पीछे रह जाता है, तो वह हमेशा के लिए पीछे रह जाता है। लेकिन यदि वह समय की गति से दो कदम आगे बढ़ने की क्षमता रखता है, तो वह विजयश्री का ध्वज फहराता है। उन्होंने परिवहन विभाग से अल्पकालिक (3 वर्ष), मध्यम अवधि (10 वर्ष) और दीर्घकालिक (22 वर्ष) योजनाएं तैयार करने का आह्वान किया।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि परिवहन विभाग ने विभिन्न मौकों पर अपनी सेवाओं से मिसाल पेश की है। 2019 के प्रयागराज कुंभ और 2020 की वैश्विक महामारी के दौरान जब करोड़ों श्रमिक अपने-अपने राज्यों की ओर लौट रहे थे, तब विभाग ने उन्हें सुरक्षित पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसी प्रकार, प्रयागराज महाकुंभ में भी विभाग ने श्रद्धालुओं को सुरक्षित रूप से उनके गंतव्य तक पहुंचाया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हर संकट के समय में परिवहन विभाग ने समय का सच्चा साथी बनकर प्रदेश और समाज की सेवा की है। सड़क सुरक्षा प्रदेश के लिए एक गंभीर चुनौती है। कोरोना काल में जितनी जानें नहीं गईं, उससे अधिक लोग हर साल सड़क हादसों में मारे जाते हैं, जिनमें अधिकतर युवा होते हैं। यह समाज और सरकार दोनों के लिए चिंता का विषय है।
उन्होंने कहा कि सड़क पर चलने वाले हर व्यक्ति की सुरक्षा परिवहन विभाग की जिम्मेदारी है। यदि किसी यात्री की जान बचती है, तो यह विभाग की सकारात्मक छवि बनाता है। लेकिन लापरवाही से जान जाने पर विभाग की बदनामी होती है। सड़क सुरक्षा को लेकर व्यापक जन-जागरूकता अभियान चलाना आवश्यक है। इसके लिए तकनीकी मदद, पुलिस और अन्य विभागों का समन्वय जरूरी है।
मुख्यमंत्री ने हेलमेट, सीट बेल्ट, नशे में ड्राइविंग, ओवरस्पीडिंग जैसे मामलों में कड़े नियम लागू करने और मीडिया के माध्यम से प्रचार-प्रसार बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि कानून कभी-कभी कठोर लगता है, लेकिन यही आपके जीवन की सुरक्षा की गारंटी है।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि सड़क सुरक्षा केवल सरकार या विभाग की नहीं, बल्कि समाज के हर वर्ग की जिम्मेदारी है। जब सभी लोग इसमें जुड़ेंगे, तो सड़क हादसों को न्यूनतम स्तर तक लाया जा सकेगा। उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा विकसित ऐप के जरिए कई स्थानों पर हादसों की संख्या को कम किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सड़क सुरक्षा नियमों का पालन करने के साथ-साथ हमें प्रकृति के अनुरूप विकास करना होगा। प्रधानमंत्री के नेट जीरो एमिशन लक्ष्य को पूरा करने के लिए इलेक्ट्रिक व्हीकल महत्वपूर्ण हैं। परिवहन विभाग को अपनी सेवाओं को आधुनिक और प्रतिस्पर्धी बनाना होगा। बस स्टेशनों को विश्वस्तरीय सुविधाओं से लैस किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिक बस सेवा से पर्यावरण संरक्षण और बेहतर यात्रा अनुभव संभव है। पुराने वाहनों की स्क्रैपिंग को बढ़ावा देना होगा ताकि प्रदूषण और सड़क हादसों का खतरा कम हो सके। मुख्यमंत्री ने ड्राइविंग ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट्स को और सुदृढ़ करने का निर्देश दिया।