क्या 4.9 करोड़ के बैंक धोखाधड़ी मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने सात आरोपियों को सजा सुनाई?

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क्या 4.9 करोड़ के बैंक धोखाधड़ी मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने सात आरोपियों को सजा सुनाई?

सारांश

सीबीआई की विशेष अदालत ने 4.9 करोड़ रुपए के बैंक धोखाधड़ी मामले में सात आरोपियों को दोषी ठहराया है। विशेष प्रबंधक टी. चंद्रकांत को दो साल की कठोर सजा दी गई। यह मामला वर्षों से चल रहा था और इसने वित्तीय संस्थानों की साख को प्रभावित किया। जानें इस मामले की पूरी जानकारी।

Key Takeaways

  • बैंक धोखाधड़ी के मामलों में सख्त सजा होनी चाहिए।
  • सही दस्तावेजों की जांच बेहद आवश्यक है।
  • आम जनता का विश्वास बनाए रखना आवश्यक है।
  • सीबीआई की भूमिका महत्वपूर्ण है।
  • धोखाधड़ी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

नई दिल्ली, 25 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की हैदराबाद में स्थित विशेष अदालत ने शुक्रवार को 4.9 करोड़ रुपए के बैंक धोखाधड़ी मामले में सात आरोपियों को दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई। अदालत ने कॉर्पोरेशन बैंक, बंजारा हिल्स शाखा, हैदराबाद के पूर्व वरिष्ठ प्रबंधक टी. चंद्रकांत को दो साल के कठोर कारावास और 20,000 रुपए के जुर्माने की सजा दी है।

इसके अतिरिक्त, अन्य छह आरोपियों, वीएनएससी बोस, वी. राजनश्री, कोंडा शेखर रेड्डी, एनवीपी नंद किशोर और एच राजा शेखर रेड्डी को अदालत ने एक साल के कठोर कारावास (आरआई) और कुल 55,000 रुपए के जुर्माने से दंडित किया है।

सीबीआई ने 29 सितंबर 2004 को यह मामला दर्ज किया था। आरोप था कि पूर्व वरिष्ठ प्रबंधक टी. चंद्रकांत और अन्य व्यक्तियों ने झूठे और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर 4.9 करोड़ रुपए के आवास ऋण की मंजूरी और वितरण करवा लिया, जिससे कॉर्पोरेशन बैंक को भारी वित्तीय नुकसान हुआ।

जांच के बाद, सीबीआई ने 30 मार्च 2007 को टी. चंद्रकांत और अन्य 11 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र (चार्जशीट) दायर किया। अभियोजन पक्ष ने अदालत में सबूतों के माध्यम से साबित किया कि आरोपियों ने मिलकर बैंक को धोखा दिया।

लंबे समय तक चले मुकदमे के बाद, विशेष न्यायाधीश ने शुक्रवार को सात आरोपियों को दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि बैंक अधिकारियों और लाभार्थियों द्वारा की गई ऐसी धोखाधड़ी वित्तीय संस्थानों की साख को कमजोर करती है और आम जनता के विश्वास को हानि पहुँचाती है।

इससे पहले, सीबीआई ने 23 अक्टूबर को केरल के दो कथित जालसाजों और दो पुलिसकर्मियों के खिलाफ ऑटोमोबाइल डीलरशिप देने की आड़ में एक महिला निवेशक को धोखा देने का मामला दर्ज किया था।

केरल उच्च न्यायालय के निर्देश पर, सीबीआई की विशेष अपराध शाखा, तिरुवनंतपुरम की मुख्य कार्यकारी अधिकारी दिव्या सारा थॉमस की देखरेख में बुधवार को प्राथमिकी दर्ज की गई। यह शिकायत अलप्पुझा के चेंगन्नूर स्थित करक्कड़ गांव की निवासी, शिकायतकर्ता ज्योल्सना बीनू ने दर्ज की थी।

Point of View

जिसमें बैंकिंग क्षेत्र की साख को ठेस पहुँचाई गई है। वित्तीय संस्थानों के प्रति जनता का विश्वास बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है। ऐसे मामलों में कठोर कार्यवाही होना चाहिए ताकि भविष्य में ऐसे धोखाधड़ी के प्रयासों को रोका जा सके।
NationPress
25/10/2025

Frequently Asked Questions

यह मामला कब दर्ज किया गया था?
यह मामला 29 सितंबर 2004 को दर्ज किया गया था।
टी. चंद्रकांत को कितनी सजा मिली?
टी. चंद्रकांत को दो साल के कठोर कारावास और 20,000 रुपए के जुर्माने की सजा मिली है।
अन्य आरोपियों को क्या सजा मिली?
अन्य छह आरोपियों को एक साल के कठोर कारावास और कुल 55,000 रुपए के जुर्माने से दंडित किया गया है।
इस मामले में सीबीआई ने कब चार्जशीट दायर की?
सीबीआई ने 30 मार्च 2007 को चार्जशीट दायर की थी।
क्या यह मामला केवल बैंक के लिए महत्वपूर्ण है?
नहीं, यह मामला वित्तीय संस्थानों की साख और आम जनता के विश्वास के लिए भी महत्वपूर्ण है।