क्या सीबीआई ने उत्तर प्रदेश में ग्रामीण बैंक के फील्ड ऑफिसर और शाखा प्रबंधक को रिश्वत लेते गिरफ्तार किया?
सारांश
Key Takeaways
- सीबीआई ने ग्रामीण बैंक के अधिकारियों को रंगे हाथ गिरफ्तार किया।
- ऋण के बदले रिश्वत मांगना एक गंभीर अपराध है।
- भ्रष्टाचार के मामलों में त्वरित कार्रवाई जरूरी है।
कानपुर, १४ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात में स्थित ग्रामीण बैंक (यूपीजीबी) की बरौर शाखा के फील्ड ऑफिसर और शाखा प्रबंधक को रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया है।
१३ नवंबर २०२५ को प्राप्त एक शिकायत पर सीबीआई ने मामला दर्ज किया, जिसमें कहा गया कि आरोपियों ने शिकायतकर्ता से १,२०,००० रुपये के किसान क्रेडिट कार्ड ऋण के अनुमोदन के लिए ७,००० रुपये की रिश्वत मांगी थी।
शिकायतकर्ता ने जानकारी दी कि उसके साले ने इस ऋण के लिए आवेदन किया था। बैंक के अधिकारियों ने ऋण की स्वीकृति के लिए ७,००० रुपये की रिश्वत मांगी।
इस मामले में सीबीआई ने शुक्रवार को जाल बिछाया और दोनों आरोपियों को रंगे हाथ गिरफ्तार किया। आरोपियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच जारी है। उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
इस क्रम में, गुरुवार को लखनऊ के सीबीआई कोर्ट ने एक अन्य रिश्वतखोरी के मामले में बैंक ऑफ बड़ौदा के ब्रांच मैनेजर को दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई थी। कोर्ट ने दोषी ब्रांच मैनेजर को ५०,००० रुपये के जुर्माने के साथ ५ साल की कैद की सजा सुनाई थी।
दोषी राम स्वरूप मिश्रा अंबेडकर नगर के बसखारी शाखा में बैंक ऑफ बड़ौदा में ब्रांच मैनेजर थे। सीबीआई ने ७ मार्च २०१७ को शिकायत के आधार पर यह मामला दर्ज किया था।
आरोप था कि शिकायतकर्ता को बैंक ऑफ बड़ौदा की बसखारी शाखा से 'कामधेनु योजना' के तहत २०.२५ लाख रुपये का लोन स्वीकृत किया गया था। लोन की एक आंशिक राशि शिकायतकर्ता के खाते में जमा कर दी गई थी, लेकिन बाद में खाते पर रोक लगा दी गई थी।