क्या सीबीआई ने मेडिकल बिलों में भ्रष्टाचार के मामले में आरोपियों को गिरफ्तार किया?

सारांश
Key Takeaways
- सीबीआई की कार्रवाई ने भ्रष्टाचार के खिलाफ एक मजबूत संदेश दिया है।
- चिकित्सा अधीक्षक और केमिस्ट की गिरफ्तारी ने मामले की गंभीरता को उजागर किया है।
- भ्रष्टाचार के मामलों में सख्त जांच और कार्रवाई की आवश्यकता है।
- नागपुर में हुई यह कार्रवाई अन्य स्थानों के लिए उदाहरण बन सकती है।
- जांच के दौरान कई स्थानों पर तलाशी ली गई है।
नागपुर, 8 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने मेडिकल बिलों में भ्रष्टाचार के मामलों में एक बड़ी कार्रवाई की है। इस जांच के तहत, सीबीआई ने वेकोलि के चिकित्सा अधीक्षक और एक निजी केमिस्ट के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया।
सीबीआई ने नागपुर के सिविल लाइंस में स्थित कोल एस्टेट के वेस्टर्न कोल फील्ड लिमिटेड (वेकोलि) डिस्पेंसरी के चिकित्सा अधीक्षक और एक निजी मेडिकल स्टोर के मालिक पर धोखाधड़ी के आरोपों के तहत कार्रवाई की है।
सीबीआई ने डॉ. पृथ्वी कृष्ण पट्टा, वेस्टर्न कोल फील्ड लिमिटेड डिस्पेंसरी के चिकित्सा अधीक्षक और कमलेश एन लालवानी, सद्गुरु मेडिकल स्टोर्स, नागपुर के मालिक को गिरफ्तार किया है।
एफआईआर में आरोप है कि चिकित्सा अधीक्षक ने झूठे मेडिकल पर्चे तैयार किए, जिनका उपयोग निजी मेडिकल स्टोर के मालिक ने बढ़ा-चढ़ाकर बिल बनाने और वेकोलि से भुगतान प्राप्त करने के लिए किया।
इसके अलावा, यह भी आरोप है कि चिकित्सा अधीक्षक ने मरीजों की जानकारी के बिना पर्चे जारी किए और उनमें महंगी दवाइयाँ जोड़कर जालसाजी की। इन जाली दस्तावेजों के आधार पर वेकोलि मुख्यालय, नागपुर द्वारा निजी मेडिकल स्टोर को बढ़ा-चढ़ाकर बिल दिए गए और उनका भुगतान किया गया। डब्ल्यूसीएल से जुड़ी चिकित्सा सेवाओं में घोटाले का पता लगाने के लिए कई स्थानों पर तलाशी ली गई है।