क्या आपके मन में अशांति है और कुंडली में चंद्र दोष है? इन मंदिरों में जाकर करें दर्शन!

सारांश
Key Takeaways
- चंद्रमा मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डालता है।
- चंद्र दोष से मुक्ति के लिए विशेष मंदिरों के दर्शन फायदेमंद हैं।
- सोमवार की पूजा से चंद्रमा की कृपा प्राप्त होती है।
नई दिल्ली, 20 जून (राष्ट्र प्रेस)। कुंडली के नव ग्रहों में चंद्रमा को मन और माता का प्रतिनिधि ग्रह माना जाता है। यह एक अत्यंत शीतल और शुभ ग्रह है। अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा शुभ स्थिति में है, तो उसे समाज में मान-प्रतिष्ठा मिलती है और उसके जीवन में स्थिरता बनी रहती है। चंद्रमा को सबसे तेज गति से चलने वाला ग्रह माना गया है, जो हर ढाई दिन में राशि परिवर्तन करता है। यह कर्क राशि का स्वामी है, जबकि वृषभ राशि को इसकी उच्च राशि और वृश्चिक राशि को नीच राशि माना गया है।
अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा शुभ है, तो यह मान-सम्मान, ज्ञान और धन में वृद्धि करता है, जिससे वह खुशमिजाज और दोस्ती में कुशल होता है। लेकिन जब चंद्रमा अशुभ, कमजोर या पाप ग्रहों जैसे राहु, केतु और शनि से प्रभावित होता है, तो यह जीवन को संघर्षपूर्ण बना देता है। चंद्रमा जब राहु और केतु के साथ आता है, तो इसे चंद्र ग्रहण दोष कहा जाता है, और जब यह शनि के साथ युति बनाता है, तो विष योग का निर्माण होता है।
वैदिक ज्योतिष में चंद्र दोष को एक दाग के समान माना जाता है। जब कुंडली में चंद्रमा खराब होता है, तो यह मानसिक रोगों, अनिद्रा और बेचैनी का कारण बनता है। चंद्रमा का मानव शरीर, मन और भावनाओं पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
ज्योतिषाचार्य गायत्री शर्मा के अनुसार, कमजोर चंद्रमा वाले व्यक्ति में नकारात्मकता का प्रभाव रहता है। ऐसे लोग अक्सर मानसिक तनाव और अज्ञात भय का सामना करते हैं। मां की सेहत भी प्रभावित होती है और ऐसे जातकों के करियर में बाधाएं आती हैं।
महादेव की पूजा ऐसे जातकों के लिए शुभ होती है। हर सोमवार को शिवलिंग पर दूध चढ़ाना और ब्राह्मण को दान देना चंद्रमा की अशुभता को कम करता है। मां की सेवा से भी चंद्रमा मजबूत होता है।
देश में कुछ मंदिर हैं जहां दर्शन करने से चंद्र दोष से मुक्ति मिलती है। सबसे पहले, गुजरात के द्वारका में सोमनाथ मंदिर है, जहां चंद्र देव ने महादेव की पूजा की थी। इसके बाद, उत्तराखंड के ऋषिकेश में चंद्रेश्वर महादेव मंदिर है, जहां चंद्रमा ने तप किया था।
कर्नाटक में चंद्रमौलेश्वर और अनाथेश्वर मंदिर हैं, जहां चंद्र देव ने भगवान शिव की पूजा की थी। तमिलनाडु में कैलासंथर मंदिर भी चंद्र देवता को समर्पित है। वृंदावन में चंद्रोदय मंदिर के दर्शन से भी चंद्र दोष समाप्त होता है।