क्या कांग्रेस नेता विश्वजीत कदम ने तीन भाषा नीति वापस लेने को 'जनता की जीत' बताया?

सारांश
Key Takeaways
- तीन भाषा नीति का वापस लिया जाना जनता के दबाव का परिणाम है।
- मराठी भाषा को राज्य की मूल भाषा के रूप में सम्मानित किया गया है।
- कांग्रेस पार्टी ने हिंदी का सम्मान किया है।
- राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे का एक साथ आना एक राजनीतिक बयान है।
- जनता की एकता ने इस निर्णय को संभव बनाया।
नई दिल्ली, 30 जून (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र सरकार द्वारा तीन भाषा नीति को वापस लेने के निर्णय को कांग्रेस नेता विश्वजीत कदम ने “जनता की जीत” बताया है। उन्होंने कहा कि पार्टी हिंदी का सम्मान करती है, लेकिन मराठी राज्य की मूल भाषा है।
विश्वजीत कदम ने सोमवार को समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत के दौरान कहा कि जनता जिस तरह से दबाव बना रही थी, उससे सरकार का यह तत्काल रिएक्शन होना स्वाभाविक था। सरकार का यह फैसला उचित है क्योंकि हम लगातार यह मांग कर रहे थे कि इसे वापस लिया जाए। तीन भाषा नीति को जबरन लागू नहीं किया जाना चाहिए।
हिंदी भाषा विवाद पर उन्होंने कहा, “हम हिंदी का सम्मान करते हैं और कभी भी इस पर विरोध नहीं किया है। हमारा कहना है कि मराठी महाराष्ट्र की मूल भाषा है और इसे सीखने में किसी अन्य भाषा की जबरदस्ती नहीं होनी चाहिए। यह भावना महाराष्ट्र के नागरिकों में थी। इसी कारण जनता के दबाव में सरकार ने यह फैसला वापस लिया है।”
भाषा विवाद पर राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के एक साथ आने पर कांग्रेस नेता ने कहा कि यह उनका व्यक्तिगत मामला है। वे जब साथ आ रहे हैं तो इसके बारे में वही बेहतर जान सकते हैं।
हाल ही में शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर दोनों भाइयों की एक तस्वीर साझा करते हुए लिखा था कि महाराष्ट्र के स्कूलों में अनिवार्य हिंदी के खिलाफ एकजुट मार्च निकाला जाएगा। ठाकरे ही ब्रांड हैं।
दोनों भाई 5 जुलाई को होने वाली विजय रैली में मंच साझा करते नजर आएंगे। राज ठाकरे ने सोमवार को तीन भाषा नीति वापस लेने के लिए जनता का धन्यवाद भी किया है। उन्होंने कहा कि यह केवल मराठा लोगों की एकता के कारण संभव हो पाया है।