क्या आपूर्ति में कमी के चलते कॉपर की कीमतें 11,700 डॉलर प्रति मीट्रिक टन तक पहुंच सकती हैं?

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क्या आपूर्ति में कमी के चलते कॉपर की कीमतें 11,700 डॉलर प्रति मीट्रिक टन तक पहुंच सकती हैं?

सारांश

कॉपर की कीमतों में तेजी का कारण आपूर्ति में कमी और बढ़ती मांग है। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में कीमतें 11,700 डॉलर प्रति मीट्रिक टन तक पहुँच सकती हैं। जानिए इसके पीछे के कारण और बाजार की स्थिति।

Key Takeaways

  • कॉपर की कीमतें 11,700 डॉलर प्रति मीट्रिक टन तक पहुंचने की संभावना है।
  • ग्रासबर्ग खदान में मिट्टी भरने से उत्पादन में रुकावट आई है।
  • भारत में कॉपर की मांग बढ़ रही है।
  • फ्रीपोर्ट-मैकमोरन ने फोर्स मैज्योर की घोषणा की है।
  • विश्लेषकों का मानना है कि कॉपर की कीमतों में वृद्धि जारी रहेगी।

नई दिल्ली, 26 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। कॉपर की कीमतें भविष्य में 11,700 डॉलर प्रति मीट्रिक टन तक पहुंचने की संभावना है। इसका मुख्य कारण कॉपर की बढ़ती मांग और सीमित आपूर्ति है। यह जानकारी शुक्रवार को एक रिपोर्ट में प्रस्तुत की गई।

इंडोनेशिया के फ्रीपोर्ट-मैकमोरन की ग्रासबर्ग खदान में मिट्टी भरने के बाद कॉपर की कीमतों में लगभग 5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

एमसीएक्स पर सितंबर की एक्सपायरी के कॉपर फ्यूचर्स का मूल्य गुरुवार को 950 रुपए तक पहुंच गया, जबकि लंदन मेटल एक्सचेंज पर कॉपर फ्यूचर्स की कीमत लगभग 10,300 डॉलर प्रति मीट्रिक टन हो गई। व्यापारियों का कहना है कि यह वृद्धि ग्रासबर्ग खदान में उत्पादन में रुकावट के कारण हुई है। इससे वैश्विक कॉपर उत्पादन में 2.5 लाख टन से अधिक की कमी आ सकती है।

विश्लेषकों के अनुसार, वैश्विक ऊर्जा संक्रमण के चलते आपूर्ति में कमी और लगातार मांग के कारण इस वर्ष कॉपर की कीमतों में लगभग 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड (एमओएफएसएल) के कमोडिटी रिसर्च प्रमुख नवनीत दमानी ने बताया, "विद्युतीकरण, इलेक्ट्रिक वाहनों की स्वीकृति, ग्रिड अपग्रेडेशन, नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्रों और एआई-संचालित डेटा केंद्रों में वृद्धि ने इस तेजी को बढ़ावा दिया है, जो सभी कॉपर पर निर्भर हैं।"

इन दबावों के चलते स्टॉक कई वर्षों के निचले स्तर पर पहुंच गया है, जो पिछले 5 वर्षों के औसत से भी कम है। 2025 के पहले 7 महीनों में बाजार में 1,01,000 टन अधिशेष स्टॉक था, जबकि एक साल पहले इसी अवधि में 4,01,000 टन अधिशेष स्टॉक था।

फ्रीपोर्ट-मैकमोरन ने अपनी ग्रासबर्ग खदान से कॉपर की शिपमेंट पर फोर्स मैज्योर घोषित कर दिया और ब्लॉककेव संचालन को अनिश्चितकाल के लिए रोक दिया।

चीन ने सितंबर की शुरुआत में प्रोसेस्ड कॉपर के उत्पादन में भी 5 प्रतिशत की कमी दर्ज की, जिससे बाजार पर लगभग 500,000 टन का प्रभाव पड़ा।

एमओएफएसएल ने एक नोट में कहा कि कॉपर खनन कंपनियों को उच्च कीमतों से लाभ होने की उम्मीद है, और निकट भविष्य में उनके मुनाफे में वृद्धि जारी रहने की संभावना है।

Point of View

मेरा मानना है कि कॉपर की कीमतों में बढ़ोतरी न केवल बाजार के लिए चुनौती है, बल्कि यह हमारे उद्योगों के लिए भी महत्वपूर्ण है। हमें इन परिवर्तनों का सही मूल्यांकन करना होगा ताकि हम अपने आर्थिक विकास को बनाए रख सकें।
NationPress
26/09/2025

Frequently Asked Questions

कॉपर की कीमतें क्यों बढ़ रही हैं?
कॉपर की कीमतें आपूर्ति में कमी और बढ़ती मांग के कारण बढ़ रही हैं।
ग्रासबर्ग खदान में क्या हुआ?
ग्रासबर्ग खदान में मिट्टी भरने के कारण उत्पादन में रुकावट आई है।
क्या कॉपर की कीमतें और बढ़ेंगी?
विशेषज्ञों का मानना है कि कॉपर की कीमतें आने वाले समय में और बढ़ सकती हैं।
भारत में कॉपर की मांग कैसे है?
भारत में कॉपर की मांग लगातार बढ़ रही है, विशेष रूप से विद्युतीकरण और इलेक्ट्रिक वाहनों के कारण।
फ्रीपोर्ट-मैकमोरन ने क्या घोषणा की है?
फ्रीपोर्ट-मैकमोरन ने ग्रासबर्ग खदान से कॉपर की शिपमेंट पर फोर्स मैज्योर घोषित किया है।