क्या रेत माफिया के खिलाफ कार्रवाई करने वाले वीएओ को प्रताड़ित किया जा रहा है? सीएम स्टालिन से हस्तक्षेप की मांग: सीपीएम
सारांश
Key Takeaways
- जयरविवर्मा ने रेत माफिया के खिलाफ कार्रवाई की।
- पुलिस ने उन पर झूठे आरोप लगाए।
- सीपीएम ने मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की अपील की।
- वीएओ को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा।
- मामले की सीआईडी जांच की मांग की गई है।
चेन्नई, 18 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। तमिलनाडु सीपीएम के राज्य सचिव पी. शन्मुगम ने मंगलवार को मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन से पुडुकोट्टई जिले में अवैध रेत खनन के खिलाफ कार्रवाई करने वाले एक ग्राम प्रशासन अधिकारी को लगातार प्रताड़ित किए जाने के मामले में तत्काल हस्तक्षेप की मांग की।
शन्मुगम ने मुख्यमंत्री को भेजे विस्तृत पत्र में बताया कि जयरविवर्मा 2015 से रेत तस्करी पर रोक लगाने के लिए सरकारी निर्देशों का पालन कर रहे हैं, जिसके कारण वह निशाने पर रहे हैं।
निर्देशों के अनुसार, जयरविवर्मा ने वल्लातिरक्कोट्टई में तस्करी नेटवर्क से चोरी की रेत और एक जेसीबी मशीन जब्त की थी, लेकिन इसके बाद उनके खिलाफ लगातार प्रतिशोध की कार्रवाई शुरू हो गई।
लिखित आदेश दिखाने के बावजूद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर उनके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया। वर्षों के दौरान उन्हें तीन बार गिरफ्तार किया गया और दो बार जेल भेजा गया।
बाद में तहसीलदार ने थाने में आकर पुष्टि की कि वीएओ ने सरकारी आदेश पर कार्रवाई की थी, जिसके बाद अदालत ने उन्हें बरी कर दिया।
सीपीएम के अनुसार, पुलिस कर्मियों ने उन्हें गुंडास एक्ट में डालने की भी कोशिश की, लेकिन पार्टी की जिला इकाई द्वारा कलेक्टर से शिकायत करने के बाद यह योजना टाल दी गई। इसके बाद वीएओ को निलंबित कर दिया गया और 2022 से अब तक केवल आठ महीने का ही भत्ता मिला, जिससे वह गंभीर आर्थिक संकट में आ गए।
शन्मुगम ने आरोप लगाया कि फरवरी 2023 में पुलिस अधिकारियों ने जयरविवर्मा को अवैध रूप से हिरासत में लेकर उन पर गांजा रखने का झूठा आरोप लगाया। जिस इंस्पेक्टर ने उन्हें पकड़ा, वही शिकायतकर्ता और जांच अधिकारी भी थे, जिससे निष्पक्ष प्रक्रिया पर सवाल खड़े होते हैं।
शन्मुगम ने कहा कि एक ईमानदार अनुसूचित जाति अधिकारी ने रेत माफिया का विरोध करने के कारण भारी मानसिक और सामाजिक दबाव झेला है। उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि वीएओ पर दर्ज सभी “फर्जी” केस वापस लिए जाएं, संबंधित पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए, जयरविवर्मा को तुरंत बहाल किया जाए, बकाया भत्ता जारी किया जाए और पूरे मामले की सीआईडी से जांच कराई जाए।