क्या साइबर फ्रॉड केस में ईडी ने पुणे-जयपुर समेत कई शहरों में छापे मारे और दो आरोपी गिरफ्तार किए?

Click to start listening
क्या साइबर फ्रॉड केस में ईडी ने पुणे-जयपुर समेत कई शहरों में छापे मारे और दो आरोपी गिरफ्तार किए?

सारांश

ईडी ने एक बड़े साइबर फ्रॉड मामले में छापेमारी की है, जिसमें पुणे और जयपुर जैसे कई शहर शामिल हैं। इस कार्रवाई में दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। क्या यह जांच साइबर अपराध के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम है?

Key Takeaways

  • ईडी ने कई शहरों में साइबर फ्रॉड के खिलाफ कार्रवाई की।
  • फर्जी कॉल सेंटर मेसर्स मैग्नेटेल बीपीएस कंसल्टेंट्स एंड एलएलपी द्वारा चलाया जा रहा था।
  • धोखाधड़ी की रकम लाखों अमेरिकी डॉलर में थी।
  • तलाशी में भारी मात्रा में सोना और नकदी बरामद की गई।
  • इस मामले में दो व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया।

मुंबई, 12 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के मुंबई जोन कार्यालय ने शनिवार को अहमदाबाद, जयपुर, जबलपुर और पुणे में कई स्थानों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई मेसर्स मैग्नेटेल बीपीएस कंसल्टेंट्स एंड एलएलपी द्वारा किए गए साइबर फ्रॉड मामलों की जांच के तहत की गई।

पुणे साइबर पुलिस ने मेसर्स मैग्नेटेल बीपीएस कंसल्टेंट्स एंड एलएलपी के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज की थी, जिसमें बताया गया था कि ये आठ लोग एक फर्जी कॉल सेंटर चला रहे थे। केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी ने इस एफआईआर के आधार पर अपनी जांच शुरू की। यह कॉल सेंटर पुणे के प्राइड आइकॉन बिल्डिंग की 9वीं मंजिल से संचालित हो रहा था, जहां से अमेरिकी नागरिकों को फर्जी लोन के जरिए निशाना बनाया जाता था।

ईडी की प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि आरोपी बैंकों के कर्मचारियों के रूप में फोन करके फर्जी लोन देने का प्रयास करते थे और अमेरिकी नागरिकों के बैंक खाते की जानकारी प्राप्त करते थे। इन जानकारियों का उपयोग धन ट्रांसफर के लिए किया गया। धोखाधड़ी से प्राप्त राशि, जिसकी अनुमानित कीमत लाखों अमेरिकी डॉलर है, अमेरिका में सहयोगियों के माध्यम से भेजी गई और बाद में इसे क्रिप्टोकरेंसी में बदल दिया गया। डिजिटल संपत्तियाँ जैसे ट्रस्ट वॉलेट और एक्सोडस वॉलेट में जमा की गईं।

जांच में पता चला कि इन पैसों को भारत में ट्रांसफर किया गया और अहमदाबाद में पारंपरिक अनौपचारिक माध्यमों (जैसे अंगड़िया) का उपयोग करके भुनाया गया। धोखाधड़ी से प्राप्त लाभ का एक हिस्सा म्यूल अकाउंट के माध्यम से कंपनी के बैंक खातों में जमा किया गया, जिसका उपयोग मुख्य रूप से सॉफ्टवेयर खरीदने और कार्यालय के किराए के लिए किया गया।

तलाशी के दौरान 7 किलोग्राम सोना, 62 किलोग्राम चांदी, 1.18 करोड़ रुपये नकद और 1.50 करोड़ रुपये मूल्य के संपत्ति दस्तावेज बरामद किए गए। फर्जी कॉल सेंटर के संचालन से संबंधित 9.2 करोड़ रुपये के डिजिटल साक्ष्य भी जब्त किए गए। इस मामले में मेसर्स मैग्नेटेल बीपीएस कंसल्टेंट्स एंड एलएलपी के दो पार्टनर संजय मोरे और अजीत सोनी को जयपुर से गिरफ्तार किया गया।

--आईएनएस

डीकेपी/एबीएम

Point of View

जो न केवल धोखाधड़ी के खिलाफ एक सख्त संदेश देती है, बल्कि समाज में जागरूकता फैलाने का भी कार्य करती है।
NationPress
24/07/2025

Frequently Asked Questions

ईडी ने कब और कहां छापेमारी की?
ईडी ने 12 जुलाई को अहमदाबाद, जयपुर, जबलपुर और पुणे में छापेमारी की।
फर्जी कॉल सेंटर किसके द्वारा चलाया जा रहा था?
फर्जी कॉल सेंटर मेसर्स मैग्नेटेल बीपीएस कंसल्टेंट्स एंड एलएलपी द्वारा चलाया जा रहा था।
छापेमारी के दौरान क्या बरामद किया गया?
तलाशी के दौरान 7 किलोग्राम सोना, 62 किलोग्राम चांदी और 1.18 करोड़ रुपये नकद बरामद किए गए।
गिरफ्तार आरोपी कौन हैं?
इस मामले में संजय मोरे और अजीत सोनी को गिरफ्तार किया गया।
साइबर फ्रॉड के पीछे का मुख्य तरीका क्या था?
आरोपी बैंकों के कर्मचारियों के रूप में फोन करके अमेरिकी नागरिकों को फर्जी लोन देने का प्रयास करते थे।