क्या चीन और अंग्रेजी में 'दक्षिण चीन सागर के बारे में सच्चाई' थिंक टैंक रिपोर्टें जारी की गईं?

सारांश
Key Takeaways
- दक्षिण चीन सागर में चीन की प्रादेशिक संप्रभुता का ऐतिहासिक आधार।
- बाहरी हस्तक्षेप की वास्तविकता का विश्लेषण।
- दक्षिण चीन सागर को शांति, मित्रता और सहयोग का सागर बनाने का प्रयास।
- चीन की संप्रभुता को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता।
- विश्लेषण में वैश्विक संदर्भ की महत्वपूर्णता।
बीजिंग, 21 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। सिन्हुआ समाचार एजेंसी के राष्ट्रीय उच्च-स्तरीय थिंक टैंक ने विश्व के समक्ष चीनी और अंग्रेजी में 'दक्षिण चीन सागर के बारे में सच्चाई' थिंक टैंक रिपोर्टों की एक श्रृंखला प्रस्तुत की।
इन रिपोर्टों में दक्षिण चीन सागर के द्वीपों में चीन की प्रादेशिक संप्रभुता और समुद्री अधिकारों तथा हितों के ऐतिहासिक और कानूनी आधार पर विस्तार से चर्चा की गई है। ये रिपोर्टें 'दक्षिण चीन सागर मुद्दे' में बाहरी हस्तक्षेप की वास्तविकता को उजागर करती हैं, और दक्षिण चीन सागर को शांति, मित्रता और सहयोग का सागर बनाने के चीन के प्रयासों का गहन विश्लेषण प्रदान करती हैं।
इस श्रृंखला में तीन प्रमुख रिपोर्टें शामिल हैं- 'लहरों के नीचे: दक्षिण चीन सागर में चीन की प्रादेशिक संप्रभुता और समुद्री अधिकारों एवं हितों के ऐतिहासिक और कानूनी आधार', 'उकसावे, धमकियां और झूठ: दक्षिण चीन सागर मुद्दे में बाहरी हस्तक्षेप की सच्चाई', और 'दक्षिण चीन सागर को शांति, मित्रता और सहयोग का सागर बनाने में चीन का अभ्यास'।
इससे पहले, 'दक्षिण चीन सागर को शांति, मित्रता और सहयोग का सागर बनाने में चीन का अभ्यास' शीर्षक से एक अलग रिपोर्ट 8 जून को विश्व महासागर दिवस पर जारी की गई थी।
इस वर्ष चीनी जनता के जापानी अतिक्रमण विरोधी युद्ध और विश्व फासीवाद विरोधी युद्ध की विजय की 80वीं वर्षगांठ है। रिपोर्ट में यह बताया गया है कि 80 वर्ष पहले, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद की अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था के हिस्से के रूप में, चीन ने काहिरा घोषणा, पॉट्सडैम उद्घोषणा आदि के अनुसार दक्षिण चीन सागर के द्वीपों पर अपनी संप्रभुता की बहाली की। दक्षिण चीन सागर में चीन की संप्रभुता और उससे संबंधित अधिकारों एवं हितों को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा सार्वभौमिक रूप से मान्यता प्राप्त है।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)