क्या दिल्ली की सीएम ने 'बारापुला रोड फेज-3 परियोजना' से जुड़ी खामियों की जांच का आदेश दिया?

सारांश
Key Takeaways
- सीएम रेखा गुप्ता ने परियोजना की समीक्षा की और अनियमितताओं की जांच का आदेश दिया।
- बजट की कमी नहीं होगी, परियोजना समय पर पूरी की जाएगी।
- परियोजना का 87 प्रतिशत कार्य अब तक पूरा हो चुका है।
नई दिल्ली, 28 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की अध्यक्षता में सोमवार को हुई बैठक में निर्माणाधीन बारापुला एलिवेटेड रोड, फेज-3 की गहन समीक्षा की गई। बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने परियोजना में हुई अनियमितताओं की जांच और इसे समय पर पूरा करने के आदेश दिए।
सीएम रेखा गुप्ता ने वित्त व्यय समिति की बैठक में इस परियोजना की समीक्षा करते हुए निर्माण में हुई अनियमितताओं की जांच का निर्देश दिया। ठेकेदार कंपनी को 175 करोड़ रुपए का भुगतान करने की जांच भ्रष्टाचार निरोधक शाखा से कराने का निर्णय लिया गया।
बैठक में इस परियोजना के लिए लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) की लापरवाही पर भी चर्चा की गई और विभिन्न कारणों से परियोजना में हो रही देरी पर चिंता व्यक्त की गई।
मुख्यमंत्री ने वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देश दिए कि इस परियोजना को जल्द से जल्द पूरा किया जाए। उन्होंने कहा कि धनराशि का भुगतान इसलिए किया गया क्योंकि पूर्व सरकार ने कंपनी को कार्य नहीं करने दिया था।
यह एलिवेटेड रोड बारापुला नाले से शुरू होकर सराय काले खां होते हुए मयूर विहार फेज-3 तक पहुंचेगा। इस उच्चस्तरीय बैठक में पीडब्ल्यूडी मंत्री प्रवेश साहिब सिंह के अलावा संबंधित विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री को बताया गया कि परियोजना जल्द ही गति पकड़ लेगी, क्योंकि मार्ग में आने वाले पेड़ों को हटाने की अनुमति जल्द मिलेगी। इसके बाद यह परियोजना निर्धारित समय पर पूरी हो जाएगी।
मुख्यमंत्री ने आदेश दिया कि अब इस परियोजना में किसी प्रकार की देरी नहीं होनी चाहिए। सरकार इस परियोजना के लिए बजट की कमी नहीं आने देगी। परियोजना के पूरा होने से दक्षिणी दिल्ली और पूर्वी दिल्ली के बीच यातायात का आवागमन सुचारू हो जाएगा।
गौरतलब है कि दिल्ली कैबिनेट ने सितंबर 2011 में इस परियोजना को मंजूरी दी थी। दिसंबर 2014 में इसके लिए 1,260.63 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे। निर्माण कार्य अप्रैल 2015 में शुरू हुआ था और इसकी अनुमानित अवधि 30 महीने थी।
इस परियोजना की मूल लागत 1,260.63 करोड़ रुपए थी, जिसमें से अब तक 1,238.68 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। अब कुल लागत बढ़कर 1,330 करोड़ रुपए होने का अनुमान है। वर्तमान में, 87 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है।