क्या दिल्ली में आवारा कुत्तों पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई ने नया मोड़ लिया है?

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क्या दिल्ली में आवारा कुत्तों पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई ने नया मोड़ लिया है?

सारांश

दिल्ली में आवारा कुत्तों के मामलों पर सुप्रीम कोर्ट में हुई अहम सुनवाई में सॉलिसिटर जनरल और वरिष्ठ वकीलों ने अपने तर्क प्रस्तुत किए। इस सुनवाई का परिणाम बच्चों और बुजुर्गों की सुरक्षा पर असर डाल सकता है। क्या कोर्ट के आदेश से समस्या का समाधान होगा?

Key Takeaways

  • दिल्ली में आवारा कुत्तों की समस्या को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई।
  • सॉलिसिटर जनरल ने सुरक्षा के मुद्दे को उठाया।
  • कपिल सिब्बल ने पुनर्वास की कमी पर चिंता व्यक्त की।
  • अदालत ने आदेश सुरक्षित रख लिया है।

नई दिल्ली, 14 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली में आवारा कुत्तों के बढ़ते मामलों पर सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों वाली विशेष पीठ, जिसमें जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एनवी अंजारिया शामिल थे, ने गुरुवार को सुनवाई की। सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने अपने-अपने तर्क प्रस्तुत किए।

तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि देश में आवारा कुत्तों के हमले एक गंभीर समस्या बन चुके हैं। उन्होंने बताया कि हर साल लगभग 37 लाख लोग और प्रतिदिन लगभग 10 हजार लोग कुत्तों के काटने का शिकार बनते हैं, जबकि 305 लोगों की मौत भी रेबीज संक्रमण के कारण हुई है। उन्होंने कहा कि कोई भी जानवरों से नफरत नहीं करता, लेकिन उन्हें मानव बस्तियों से थोड़ा अलग रखना आवश्यक है, ताकि बच्चों और बुजुर्गों के लिए सड़कें सुरक्षित रहें।

मेहता ने यह भी कहा कि कई लोग अपने घरों में मांसाहार का सेवन करते हुए खुद को पशु प्रेमी बताते हैं और सड़कों पर आवारा कुत्तों को खिलाते हैं, जिससे समस्या बढ़ रही है।

कपिल सिब्बल ने तुषार मेहता के तर्कों पर असहमति जताते हुए कहा कि आवारा कुत्तों को पकड़ने के बाद उनके पुनर्वास, नसबंदी और टीकाकरण के लिए उचित ढांचे की आवश्यकता होती है, जो वर्तमान में उपलब्ध नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट के पिछले आदेश के बाद स्थानीय प्रशासन ने कुत्तों को पकड़ना शुरू कर दिया है, जबकि शेल्टर होम पहले से ही भरे हुए हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि अधिक भीड़ से शेल्टर में कुत्तों के बीच झगड़े और हिंसा बढ़ सकती है, और बाद में छोड़े जाने पर वे और अधिक आक्रामक हो सकते हैं। सिब्बल ने आशंका जताई कि ऐसे चिड़चिड़े कुत्तों को बाद में खतरनाक बताकर मार दिया जाएगा।

जस्टिस विक्रम नाथ ने सिब्बल से सवाल किया कि क्या आपका कहना है कि प्रशासन आदेश का इंतजार कर रहा था और जैसे ही आदेश आया, उन्होंने पकड़ना शुरू कर दिया? इस पर सिब्बल ने जवाब दिया कि प्रशासन वास्तव में कुत्तों को पकड़कर पहले से भरे शेल्टर में ठूंस रहा है।

अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि सरकार को एबीसी (एनिमल बर्थ कंट्रोल) नियमों का पालन करना चाहिए, जिसमें स्ट्रीट डॉग्स को स्टेरलाइज और वैक्सीनेट कर पुनर्वास करने का प्रावधान है। उन्होंने सवाल उठाया कि अचानक 24 से 48 घंटों के भीतर कुत्तों को पकड़कर शेल्टर में डालने का आदेश कैसे दिया जा सकता है?

सुनवाई के दौरान पीठ ने माना कि इस समस्या की सबसे बड़ी वजह जिम्मेदार विभागों की लापरवाही है और स्थानीय प्राधिकरण वह कार्य नहीं कर रहे, जो उन्हें करना चाहिए था। सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए आदेश सुरक्षित रख लिया कि वह विचार करेगा कि क्या पिछले आदेश के दिशानिर्देशों पर रोक लगाई जाए या नहीं।

Point of View

लेकिन इसके लिए ठोस उपायों की आवश्यकता है।
NationPress
23/08/2025

Frequently Asked Questions

सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों के मामले में क्या निर्णय लिया?
सुप्रीम कोर्ट ने मामले को सुरक्षित रख लिया है और आदेश पर रोक लगाने पर विचार करेगा।
सॉलिसिटर जनरल ने क्या कहा?
सॉलिसिटर जनरल ने आवारा कुत्तों के हमलों को गंभीर समस्या बताते हुए सुरक्षा की आवश्यकता पर जोर दिया।
कपिल सिब्बल ने क्या आपत्ति जताई?
उन्होंने कहा कि कुत्तों के पुनर्वास और नसबंदी के लिए उचित ढांचे की कमी है।