क्या सिर्फ 5 रुपए में खाना संभव है? अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर दिल्ली सरकार करेगी 100 'अटल कैंटीन' की शुरुआत

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क्या सिर्फ 5 रुपए में खाना संभव है? अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर दिल्ली सरकार करेगी 100 'अटल कैंटीन' की शुरुआत

सारांश

दिल्ली सरकार पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर 100 'अटल कैंटीन' शुरू कर रही है, जहां केवल 5 रुपए में भोजन मिलेगा। यह पहल गरीबों के लिए भोजन की उपलब्धता को सुनिश्चित करेगी।

Key Takeaways

  • दिल्ली में 100 अटल कैंटीन की शुरुआत
  • 5 रुपए में पौष्टिक भोजन का प्रावधान
  • विशेष रूप से दिहाड़ी मजदूरों के लिए
  • डिजिटल टोकन प्रणाली से वितरण
  • स्थानीय समूहों को रोजगार के अवसर

नई दिल्ली, 25 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली सरकार पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के अवसर पर राजधानी में 100 अटल कैंटीन स्थापित करने जा रही है, जहां मात्र 5 रुपए में भोजन उपलब्ध होगा।

भाजपा ने दिल्ली चुनाव घोषणापत्र में इस योजना का उल्लेख किया था, जिसका उद्देश्य शहर के निवासियों को सस्ती और पौष्टिक भोजन प्रदान करना है।

दिल्ली के शहरी विकास मंत्री आशीष सूद ने इस योजना की शुरुआत की घोषणा करते हुए इसे वंचितों के लिए खाद्य सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण कदम बताया।

ये कैंटीन विशेष रूप से दिहाड़ी मजदूरों, श्रमिकों और कम आय वाले परिवारों के लिए बनाई गई हैं, जिन्हें नियमित भोजन के लिए संघर्ष करना पड़ता है।

मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि यह योजना सम्मान के साथ भोजन मुहैया कराने की सोच पर आधारित है।

उन्होंने कहा, "अटल कैंटीन दिल्ली की आत्मा बन जाएगी, जहां कोई भी भूखा नहीं सोएगा," और सरकार की समावेशी कल्याण की प्रतिबद्धता पर जोर दिया।

प्रत्येक अटल कैंटीन में दिन में दो बार भोजन उपलब्ध होगा, जिसमें दाल, चावल, रोटी और सब्जियां शामिल होंगी, और यह हर दिन लगभग 1,000 लोगों को भोजन परोसने की उम्मीद है।

अधिकारियों ने बताया कि सरकार इस योजना को भारी सब्सिडी प्रदान करेगी ताकि कीमत 5 रुपए प्रति भोजन बनी रहे।

सरकारी सूत्रों के अनुसार, एक अंतर-विभागीय समिति ने पहले चरण के लिए 100 कैंटीनों के स्थान, भोजन की सूची और संचालन निर्देशों को अंतिम रूप दे दिया है। इसका उद्देश्य सभी केंद्रों पर एकरूपता और गुणवत्ता सुनिश्चित करना है।

अनियमितताओं से बचने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए, भोजन का वितरण मैनुअल कूपन की बजाय डिजिटल टोकन प्रणाली के माध्यम से किया जाएगा। सभी कैंटीनों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे, और दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड के डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से रियल-टाइम निगरानी की जाएगी।

किचन में एलपीजी-आधारित स्टोव, इंडस्ट्रियल-ग्रेड आरओ वॉटर सिस्टम और कोल्ड स्टोरेज की सुविधाएं होंगी।

अधिकारियों ने कहा कि भोजन के नमूनों का नियमित परीक्षण एफएसएसएआई और एनएबीएल-मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं द्वारा किया जाएगा, जबकि ऑपरेटरों को स्वच्छता मानकों, कर्मचारियों के स्वास्थ्य और समग्र सुरक्षा अनुपालन के विवरण के साथ मासिक रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पहल पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के इस विश्वास से प्रेरित है कि 'गरीबी केवल पैसे की कमी नहीं, बल्कि अवसरों की कमी है।'

उन्होंने आगे कहा कि इस योजना का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि दिल्ली का हर नागरिक अपनी आत्म-सम्मान और गरिमा के साथ पौष्टिक भोजन प्राप्त कर सके।

गुप्ता ने कहा, "यह दान नहीं है; यह निष्पक्षता की बात है। शहर बनाने में मदद करने वाले मजदूरों को भोजन के लिए संघर्ष नहीं करना चाहिए।" प्रारंभिक चरण चालू होने के बाद, दिल्ली सरकार लोगों की मांग और फीडबैक के आधार पर अटल कैंटीन नेटवर्क को और बढ़ाने की योजना बना रही है।

अधिकारियों ने कहा कि इस कार्यक्रम से रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। इन कैंटीनों को चलाने और प्रबंधित करने की जिम्मेदारी स्थानीय समूहों और स्वयं सहायता समूहों को दी जाएगी, जिससे उन्हें आय का स्रोत मिलेगा।

Point of View

बल्कि यह सामाजिक समावेशिता और गरिमा को भी बढ़ावा देती है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के विचारों को आगे बढ़ाते हुए, यह पहल गरीबों के लिए एक नई आशा लेकर आई है।
NationPress
25/12/2025

Frequently Asked Questions

अटल कैंटीन में क्या भोजन मिलेगा?
अटल कैंटीन में दाल, चावल, रोटी और सब्जियां उपलब्ध होंगी।
अटल कैंटीन का उद्देश्य क्या है?
इसका उद्देश्य कम आय वाले परिवारों को किफायती और पौष्टिक भोजन प्रदान करना है।
कैंटीन में भोजन की कीमत क्या होगी?
प्रत्येक भोजन की कीमत मात्र 5 रुपए होगी।
कैंटीनों की निगरानी कैसे की जाएगी?
सभी कैंटीनों में सीसीटीवी कैमरे होंगे और रियल-टाइम निगरानी डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से की जाएगी।
क्या यह योजना रोजगार के अवसर पैदा करेगी?
हाँ, इस योजना से स्थानीय समूहों और स्वयं सहायता समूहों को रोजगार के अवसर मिलेंगे।
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