क्या पीएम मोदी की मां के एआई वीडियो मामले में दिल्ली पुलिस ने एफआईआर दर्ज की?

सारांश
Key Takeaways
- दिल्ली पुलिस ने पीएम मोदी और उनकी मां के एआई वीडियो के मामले में एफआईआर दर्ज की।
- वीडियो को एआई और डीपफेक तकनीक से बनाया गया है।
- शिकायत में कांग्रेस के नेताओं पर अपमानजनक भाषा का प्रयोग करने का आरोप है।
- इस मामले की जांच एसआई एल. किपगन कर रहे हैं।
- वीडियो को लेकर भारतीय संस्कृति और नैतिकता पर सवाल उठ रहे हैं।
नई दिल्ली, १३ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी मां हीराबेन मोदी से संबंधित सोशल मीडिया पर वायरल हुए एआई वीडियो के मामले में दिल्ली पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है। यह एफआईआर नॉर्थ एवेन्यू थाने में दर्ज की गई है, जिसमें वीडियो के माध्यम से पीएम मोदी की छवि को नुकसान पहुंचाने, महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने और समाज में भ्रामक जानकारी फैलाने के आरोप लगाए गए हैं।
भाजपा दिल्ली के चुनाव प्रकोष्ठ संयोजक संकेत गुप्ता ने इस मामले में १० सितंबर को बिहार कांग्रेस के आधिकारिक 'एक्स' हैंडल द्वारा पोस्ट किए गए एआई वीडियो के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।
शिकायत में कहा गया कि यह वीडियो एआई और डीपफेक तकनीक से निर्मित है, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी को उनकी मां के साथ दिखाया गया है। यह वीडियो पूरी तरह से नकली और भ्रामक है, जिसका उद्देश्य जनता को गुमराह करना और प्रधानमंत्री की व्यक्तिगत एवं संवैधानिक छवि को नुकसान पहुंचाना है।
संकेत गुप्ता ने अपनी शिकायत में लिखा, "यह वीडियो न केवल प्रधानमंत्री का अपमान है, बल्कि भारतीय संस्कृति में मां-बेटे के पवित्र रिश्ते की गरिमा को भी ठेस पहुँचाता है। हीराबेन मोदी अब इस दुनिया में नहीं हैं कि वे अपनी गरिमा की रक्षा कर सकें। उनके नाम और चेहरे का इस तरह से राजनीतिक लाभ के लिए दुरुपयोग करना न केवल अमानवीय है, बल्कि समाज की नैतिकता पर भी चोट है।"
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों के नेता बार-बार प्रधानमंत्री की मां के खिलाफ अपमानजनक भाषा का प्रयोग कर रहे हैं, जो एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा प्रतीत होता है।
इस मामले की जांच एसआई एल. किपगन को सौंपी गई है। एफआईआर की एक कॉपी मजिस्ट्रेट और वरिष्ठ अधिकारियों को भेज दी गई है।
शिकायत में यह भी कहा गया है कि कांग्रेस ने केवल प्रधानमंत्री की छवि को नुकसान नहीं पहुँचाया, बल्कि एक दिवंगत महिला की गरिमा, मातृत्व की पवित्रता और महिलाओं के प्रति सम्मान को भी आघात पहुँचाया है।
शिकायत में यह भी उल्लेख किया गया है कि २७ और २८ अगस्त को बिहार के दरभंगा में कांग्रेस और राजद की 'वोटर अधिकार यात्रा' के दौरान भी प्रधानमंत्री के खिलाफ अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया गया था। संकेत गुप्ता ने शिकायत देते हुए सुप्रीम कोर्ट के तीन ऐतिहासिक फैसलों का हवाला भी दिया।
सुब्रमण्यम स्वामी बनाम भारत सरकार (२०१६), जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी की प्रतिष्ठा पर हमला करना संविधान के अनुच्छेद २१ का उल्लंघन है। केएस पुट्टस्वामी बनाम भारत सरकार (२०१७), जिसमें निजता और गरिमा को मूल अधिकार माना गया। बॉम्बे पोर्ट ट्रस्ट बनाम दिलीप कुमार (१९८३), जिसमें प्रतिष्ठा को जीवन के अधिकार से जोड़ा गया।