क्या दिल्ली सरकार की सलाह पर पड़ोसी राज्यों में भी पुरानी गाड़ियां बंद होंगी? सौरभ भारद्वाज का भाजपा पर बड़ा आरोप

सारांश
Key Takeaways
- दिल्ली में पुरानी गाड़ियों का प्रतिबंध
- भाजपा पर आरोप कि उन्होंने जनता को परेशान किया है
- सीएक्यूएम की सिफारिश के तहत निर्णय
नई दिल्ली, 9 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली में पुरानी गाड़ियों पर प्रतिबंध को लेकर एक बार फिर सियासी हलचल मची है। आम आदमी पार्टी के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने भाजपा पर जोरदार हमला करते हुए कहा कि दिल्ली की भाजपा सरकार ने न केवल दिल्ली बल्कि उसके आस-पास के लाखों वाहन मालिकों के लिए समस्याओं को बढ़ा दिया है।
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि भाजपा की दिल्ली सरकार ने सीएक्यूएम (कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट) को पत्र लिखकर उत्तर प्रदेश और हरियाणा के नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम, फरीदाबाद और सोनीपत जैसे शहरों में भी पुरानी गाड़ियों को हटाने की सिफारिश की थी, जिसे अब मान लिया गया है।
उन्होंने कहा कि भाजपा जनता से लगातार झूठ बोल रही है। भाजपा के मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने 1 मार्च को यह घोषणा की थी कि 30 मार्च से पुरानी गाड़ियों को पेट्रोल नहीं मिलेगा। लेकिन जब तैयारियां अधूरी रह गईं, तो तारीख को बढ़ाकर 30 जून कर दिया गया। इसके बाद जब जनता का विरोध बढ़ा, तो सरकार ने दावा किया कि यह निर्णय अदालत और सीएक्यूएम का है।
सौरभ भारद्वाज ने इसे झूठ कहकर खारिज कर दिया और कहा कि सीएक्यूएम की चिट्ठी 23 अप्रैल को आई थी, जबकि भाजपा मंत्री ने बयान 1 मार्च को ही दे दिया था। उन्होंने भाजपा पर दोहरी नीति अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि एक तरफ भाजपा कह रही है कि पुरानी गाड़ियां प्रदूषण का कारण नहीं हैं, वहीं दूसरी ओर, सीएक्यूएम को पत्र लिखकर इन गाड़ियों को बंद करने की सिफारिश कर रही है।
सौरभ भारद्वाज ने आरोप लगाया कि यह पूरा निर्णय भाजपा और कार निर्माता कंपनियों के बीच सांठगांठ का नतीजा है। उन्होंने कहा कि लगभग दो करोड़ वाहन मालिकों पर दबाव डालकर उन्हें नई गाड़ियां खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जिससे वाहन कंपनियों को लाभ हो रहा है। पहले यह निर्णय दिल्ली की 62 लाख गाड़ियों को प्रभावित कर रहा था, लेकिन अब भाजपा की सिफारिश पर पड़ोसी राज्यों के दो करोड़ से अधिक वाहन मालिक भी इसके दायरे में आ गए हैं। उन्होंने इसे जनता के हितों के खिलाफ बताते हुए कहा कि भाजपा की नीति में खोट है और यह सब कुछ कार कंपनियों के लाभ के लिए किया जा रहा है।