क्या धामी सरकार ने धर्मांतरण कानून को और सख्त बना दिया है, मुस्लिम धर्मगुरु की प्रतिक्रिया?

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क्या धामी सरकार ने धर्मांतरण कानून को और सख्त बना दिया है, मुस्लिम धर्मगुरु की प्रतिक्रिया?

सारांश

उत्तराखंड में धर्मांतरण कानून को सख्त बनाने के पीछे क्या है? जानें मुस्लिम धर्मगुरुओं की क्या राय है। यह कानून किस तरह से धर्म परिवर्तन को प्रभावित करेगा, और क्या यह समाज में समानता लाएगा? पढ़ें पूरी खबर।

Key Takeaways

  • धर्मांतरण कानून को सख्त बना दिया गया है।
  • डिजिटल माध्यम से धर्म परिवर्तन कराने पर सख्त सजा का प्रावधान।
  • धर्मांतरण को व्यक्तिगत निर्णय माना जाना चाहिए।
  • जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
  • समाज में समानता की आवश्यकता।

मुरादाबाद, 20 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार ने धर्मांतरण के मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाते हुए कानून को और सख्त बना दिया है। अब अगर कोई व्यक्ति डिजिटल माध्यम से भी किसी का धर्म परिवर्तन कराने का प्रयास करता है, तो उसके लिए सख्त सजा का प्रावधान रखा गया है। इसके लिए 'उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता एवं विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध संशोधन विधेयक' विधानसभा में पेश किया गया है।

इस विषय पर यूपी के मुरादाबाद से मुस्लिम धर्मगुरु मुफ्ती मौलाना दानिश कादरी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।

उन्होंने राष्ट्र प्रेस के साथ बातचीत में कहा, "पहले यह समझना आवश्यक है कि धर्मांतरण वास्तव में क्या है? यदि कोई मुसलमान हिंदू धर्म अपनाना चाहता है, तो उसका सम्मान किया जाना चाहिए। ठीक इसी तरह, यदि कोई गैर-मुस्लिम, चाहे वह हिंदू, सिख या ईसाई हो, अगर वह स्वेच्छा से इस्लाम अपनाता है, तो इसमें किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए।"

मौलाना कादरी ने आगे कहा कि जबरन या धोखे से धर्म बदलवाना पूरी तरह से गलत है, और जो ऐसा करता है, उसे कठोर सजा मिलनी चाहिए, चाहे वह किसी भी धर्म का अनुयायी हो। धर्म आस्था का विषय है और यह पूरी तरह व्यक्तिगत निर्णय होता है, इसमें किसी प्रकार का दबाव नहीं होना चाहिए।

उन्होंने कहा, "धर्म कपड़ों की तरह नहीं है कि आज यह पसंद नहीं आया तो बदल लिया। यह दिल की बात है। यदि कोई इस्लाम के बारे में जानना चाहता है, तो उसे जानकारी देना धर्मांतरण नहीं है।"

वहीं, ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने भी इस विधेयक पर अपनी प्रतिक्रिया दी।

उन्होंने कहा, "सीएम धामी एक श्रृंखला में काम कर रहे हैं। पहले उन्होंने यूनिफॉर्म सिविल कोड को विधानसभा से जबरन पास कराया, फिर मदरसा बोर्ड को समाप्त करके नए अल्पसंख्यक शिक्षक संस्थान की घोषणा की, और अब धर्मांतरण पर नया कानून ला रहे हैं। ये सब कुछ हिंदुत्ववादी सोच के तहत किया जा रहा है।"

मौलाना रजवी ने कहा कि केवल कानून बनाकर या कागज काले करके समस्या का समाधान नहीं होगा। समस्या तब हल होगी जब सभी को समान दर्जा मिलेगा और सभी के साथ न्याय होगा। देश को हिंदू-मुसलमान में बांटने के बजाय, शिक्षा और विकास सभी के लिए समान होना चाहिए।

उन्होंने कहा, "मजहब की बुनियादों पर तफरीक पैदा करना या लोगों को तोड़ना, ऐसे लोगों को दुनिया माफ नहीं करेगी।"

Point of View

हमें यह समझना चाहिए कि धर्मांतरण कानून पर चर्चा भारत के सांस्कृतिक और सामाजिक ताने-बाने के लिए महत्वपूर्ण है। यह कानून न केवल धार्मिक स्वतंत्रता को प्रभावित करता है, बल्कि सामुदायिक सद्भाव को भी चुनौती देता है।
NationPress
23/08/2025

Frequently Asked Questions

धर्मांतरण कानून का उद्देश्य क्या है?
इस कानून का उद्देश्य धर्मांतरण को नियंत्रित करना और जबरन धर्म परिवर्तन को रोकना है।
क्या डिजिटल माध्यम से धर्मांतरण कराना भी अपराध होगा?
हां, इस कानून के तहत यदि कोई डिजिटल माध्यम से धर्म परिवर्तन कराने का प्रयास करता है, तो उसे सख्त सजा का सामना करना पड़ेगा।
मुस्लिम धर्मगुरुओं की इस कानून पर क्या राय है?
मुस्लिम धर्मगुरुओं का मानना है कि धर्मांतरण व्यक्तिगत निर्णय है और जबरन धर्म परिवर्तन गलत है।
क्या यह कानून सामाजिक समरसता को प्रभावित करेगा?
कई धर्मगुरु मानते हैं कि यह कानून समाज में विभाजन और असमानता को बढ़ा सकता है।
क्या इस कानून का विरोध हो रहा है?
हां, कई संगठनों और धर्मगुरुओं ने इस कानून का विरोध किया है और इसे धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन मानते हैं।