क्या धनतेरस पर बाबा महाकाल का भव्य श्रृंगार हुआ?

सारांश
Key Takeaways
- धनतेरस पर भगवान महाकाल का भव्य श्रृंगार किया गया।
- भक्तों ने सुबह 4 बजे मंदिर के पट खुलने पर दर्शन किए।
- भस्म आरती के दौरान विशेष पूजा विधि का पालन किया गया।
- मंदिर परिसर में भक्तिमय वातावरण बना रहा।
- इस दिन के दर्शन का विशेष महत्व है।
उज्जैन, 18 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष त्रयोदशी, अर्थात् धनतेरस के पवित्र अवसर पर शनिवार को विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। बाबा महाकाल ने अपने भक्तों को दर्शन देने के लिए सुबह 4 बजे ही मंदिर के पट खोल दिए। इस दौरान मंदिर परिसर में 'जय श्री महाकाल' के जयघोष से वातावरण गूंज उठा।
भस्म आरती के समय पुजारियों ने भगवान महाकाल का दूध, दही, घी, शक्कर और फलों के रस से बने पंचामृत से अभिषेक किया। इसके बाद बाबा का भव्य श्रृंगार किया गया। आज के श्रृंगार में विशेष बात यह थी कि भगवान को भांग से सजाया गया। उनके मस्तक पर चंद्रमा और बेलपत्र धारण कराए गए। साथ ही नया मुकुट, रुद्राक्ष और मुंड माला पहनाकर उन्हें और भी आकर्षक रूप दिया गया।
महानिर्वाणी अखाड़े की ओर से शिवलिंग पर भस्म अर्पित की गई। भस्म आरती के पश्चात भगवान ने निराकार से साकार रूप में भक्तों को दर्शन दिए। इस अलौकिक दृश्य को देखने के लिए हजारों श्रद्धालु मंदिर पहुंचे। भक्तों ने भक्ति भाव के साथ बाबा महाकाल की आराधना की और मंदिर परिसर भक्तिमय माहौल से सराबोर हो गया।
धनतेरस के दिन बाबा महाकाल के दर्शन को विशेष माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन बाबा के दर्शन और पूजन से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। सुबह से ही भक्तों की लंबी कतारें मंदिर में लगी रहीं। मंदिर प्रशासन ने भक्तों की सुविधा के लिए विशेष व्यवस्थाएं की थीं, ताकि दर्शन और पूजन सुगमता से हो सके।
यह पावन अवसर उज्जैन के लिए गर्व का क्षण रहा, क्योंकि बाबा महाकाल के दर्शन के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु पहुंचे। मंदिर की भव्य सजावट और भस्म आरती का दृश्य सभी के लिए अविस्मरणीय रहा। 'जय श्री महाकाल' की गूंज ने पूरे शहर को भक्तिमय बना दिया।