क्या धनतेरस पर इस मंदिर के कपाट खुलते हैं? भगवान धनवंतरि को जड़ी-बूटियों का भोग लगता है

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क्या धनतेरस पर इस मंदिर के कपाट खुलते हैं? भगवान धनवंतरि को जड़ी-बूटियों का भोग लगता है

सारांश

धनतेरस के पावन अवसर पर भगवान धन्वंतरि का अनोखा मंदिर वाराणसी में है, जहां केवल इस दिन ही पूजा होती है। मंदिर के कपाट साल में एक बार खुलते हैं और भक्त जड़ी-बूटियों का भोग अर्पित करके रोगों से मुक्ति प्राप्त करते हैं। जानिए इस अद्भुत मंदिर के बारे में!

Key Takeaways

  • धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि की विशेष पूजा होती है।
  • यह मंदिर केवल एक बार साल में खुलता है।
  • भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद का जनक माना जाता है।
  • मंदिर का इतिहास 300 साल पुराना है।
  • भक्त जड़ी-बूटियों का भोग अर्पित करते हैं।

नई दिल्ली, 5 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। पूरे देश में 18 अक्टूबर को धनतेरस का पर्व मनाया जाएगा। ऐसा माना जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान भगवान विष्णु के अवतार भगवान धन्वंतरि अमृत कलश के साथ प्रकट हुए थे।

धनतेरस के अवसर पर विशेष रूप से भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है, क्योंकि उन्हें स्वास्थ्य और समृद्धि का देवता माना जाता है। भारत में कई मंदिर हैं, जो भगवान धन्वंतरि को समर्पित हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश में एक अनोखा मंदिर है, जहां केवल धनतेरस पर ही पूजा होती है। वाराणसी के सुड़िया में स्थित इस मंदिर के कपाट साल में एक बार धनतेरस के दिन ही खुलते हैं। इस दिन बड़ी संख्या में भक्त भगवान धन्वंतरि को जड़ी-बूटियां अर्पित करते हैं, जिससे उन्हें रोगों से मुक्ति मिलती है।

मंदिर का इतिहास लगभग 300 साल पुराना है और इसमें भगवान की अष्टधातु की मूर्ति है, जिसमें भगवान हाथ में अमृत कलश, सुदर्शन चक्र और शंख लिए हुए हैं। यह मूर्ति बेहद आकर्षक है। माना जाता है कि यह मंदिर देश का एकमात्र स्थान है, जहां भगवान धन्वंतरि अपने असली रूप में विराजमान हैं। यही कारण है कि इस मंदिर की मान्यता देशभर में सबसे अधिक है। भक्त अपने रोगों से छुटकारा पाने के लिए धनतेरस पर यहां दर्शन के लिए आते हैं।

इस मंदिर में राजवैद्य स्वर्गीय शिवकुमार शास्त्री का परिवार कई पीढ़ियों से पूजा करता आ रहा है और आज भी वही मंदिर और पूजा का कार्यभार संभालते हैं।

भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद का जनक और प्रसारक माना जाता है। उन्होंने आयुर्वेद की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए इसे अष्ट-शास्त्रों में विभाजित किया है, जिसमें भूत विद्या (मनोचिकित्सा), शल्य (सर्जरी), सायनतंत्र (रसायन विज्ञान), शालक्य (कान, नाक, गला), कौमारभृत्य (बाल रोग), वाजीकरण तंत्र (प्रजनन स्वास्थ्य), काय चिकित्सा (सामान्य चिकित्सा), और अगदतंत्र (विष विज्ञान) शामिल हैं।

Point of View

बल्कि यह स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना को भी दर्शाता है। वाराणसी का यह मंदिर इस पर्व का केंद्र है, जहां भक्त अपनी जड़ी-बूटियों के साथ भगवान के दरबार में पहुंचते हैं।
NationPress
05/10/2025

Frequently Asked Questions

धनतेरस पर इस मंदिर के कपाट कब खुलते हैं?
इस मंदिर के कपाट हर साल धनतेरस के दिन ही खुलते हैं।
भगवान धन्वंतरि को किस तरह की पूजा की जाती है?
भगवान धन्वंतरि को जड़ी-बूटियों का भोग अर्पित किया जाता है।
यह मंदिर कब से स्थापित है?
यह मंदिर लगभग 300 साल पुराना है।
भगवान धन्वंतरि को किस चीज़ के लिए जाना जाता है?
भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद का जनक माना जाता है।
यह मंदिर कहां स्थित है?
यह मंदिर वाराणसी, उत्तर प्रदेश में स्थित है।