क्या दिलीप कुमार ने भारत को विश्व चैंपियन बनाने वाले इस क्रिकेटर की प्रतिभा पहचानी थी?

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क्या दिलीप कुमार ने भारत को विश्व चैंपियन बनाने वाले इस क्रिकेटर की प्रतिभा पहचानी थी?

सारांश

युवाओं की प्रतिभा पहचानने का काम सिर्फ प्रशिक्षकों का नहीं होता। दिलीप कुमार ने यशपाल शर्मा की क्रिकेट प्रतिभा को पहचाना और उनके करियर को नई दिशा दी। जानिए इस अद्भुत कहानी के बारे में।

Key Takeaways

  • युवाओं की प्रतिभा को पहचानना महत्वपूर्ण है।
  • दिलीप कुमार जैसे व्यक्तित्व का समर्थन एक खिलाड़ी को नई दिशा दे सकता है।
  • यशपाल शर्मा का क्रिकेट करियर प्रेरणादायक है।
  • 1983 का विश्व कप भारतीय क्रिकेट का ऐतिहासिक क्षण है।
  • खेल में संन्यास के बाद भी योगदान महत्वपूर्ण है।

नई दिल्ली, 12 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। किसी भी युवा खिलाड़ी की प्रतिभा को उस खेल से जुड़े प्रशिक्षक या पूर्व खिलाड़ी परखते हैं और फिर उसे तराशने का प्रयास करते हैं। लेकिन, भारतीय क्रिकेट टीम को 1983 का विश्व कप जिताने में अहम भूमिका निभाने वाले एक बेहतरीन बल्लेबाज की प्रतिभा किसी क्रिकेटर या प्रशिक्षक ने नहीं, बल्कि दिग्गज अभिनेता दिलीप कुमार ने पहचानी थी। यह क्रिकेटर कोई और नहीं बल्कि यशपाल शर्मा थे।

आमतौर पर बड़े अभिनेता अंतरराष्ट्रीय मैच देखने जाते हैं। लेकिन, दिलीप कुमार एक बार रणजी मैच देखने पहुंचे थे। तब पंजाब की तरफ से यशपाल शर्मा खेल रहे थे। दोनों पारियों में उन्होंने शानदार बल्लेबाजी की। उनकी बल्लेबाजी से दिलीप कुमार बेहद प्रभावित हुए। मैच के बाद उन्होंने बीसीसीआई के अधिकारियों से मुलाकात कर कहा था कि पंजाब का एक लड़का आया है, उसमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलने की क्षमता है।

दिलीप कुमार की चर्चा और अपने लगातार अच्छे प्रदर्शन की बदौलत यशपाल के रास्ते धीरे-धीरे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के लिए खुल गए। दिलीप कुमार वाले किस्से का जिक्र यशपाल शर्मा ने खुद अपने एक इंटरव्यू में किया था।

घरेलू क्रिकेट में अलग-अलग समय में पंजाब, हरियाणा और रेलवे का प्रतिनिधित्व करने वाले यशपाल शर्मा ने भारत के लिए टेस्ट में 1979 में इंग्लैंड के खिलाफ डेब्यू किया था। वहीं, 13 अक्तूबर 1978 को पाकिस्तान के खिलाफ उन्होंने वनडे में डेब्यू किया था।

1979 से लेकर 1985 के बीच में यशपाल शर्मा ने 37 टेस्ट और 42 वनडे खेले। टेस्ट में 2 शतक और 9 अर्धशतक की मदद से 1,606 और वनडे में 4 अर्धशतक की मदद से उन्होंने 883 रन बनाए।

भारत को 1983 का विश्व कप जिताने में उनकी अहम भूमिका रही थी। वह टीम की तरफ से दूसरे श्रेष्ठ स्कोरर थे। वनडे करियर के 4 में दो अर्धशतक उन्होंने विश्व कप में ही लगाए थे। सेमीफाइनल में इंग्लैंड के खिलाफ उन्होंने 61 रन की यादगार पारी खेली थी। इसके अलावा वेस्टइंडीज के खिलाफ लीग मैच में 89 रन की पारी खेली, जो वनडे फॉर्मेट में उनका सर्वाधिक स्कोर रहा। शर्मा अपने वनडे करियर में कभी भी शून्य पर आउट नहीं हुए।

क्रिकेट से संन्यास के बाद वह कोच, चयनकर्ता और कमेंटेटर के रूप में सक्रिय रहे। 11 अगस्त 1954 को लुधियाना, पंजाब में जन्मे यशपाल शर्मा का निधन 13 जुलाई 2021 को नई दिल्ली में हुआ।

Point of View

बल्कि यह भी बताती है कि कैसे एक दिग्गज अभिनेता ने एक खिलाड़ी की प्रतिभा को पहचाना। हमारे देश में ऐसे कई उदाहरण हैं जहां विभिन्न क्षेत्रों में पहचान और समर्थन ने युवा प्रतिभाओं को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया है।
NationPress
25/07/2025

Frequently Asked Questions

यशपाल शर्मा का विश्व कप में प्रदर्शन कैसा था?
यशपाल शर्मा ने 1983 के विश्व कप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसमें उन्होंने सेमीफाइनल में 61 रन और वेस्टइंडीज के खिलाफ 89 रन बनाए।
दिलीप कुमार ने यशपाल शर्मा की प्रतिभा कैसे पहचानी?
दिलीप कुमार ने एक रणजी मैच के दौरान यशपाल शर्मा की बल्लेबाजी देखी और उनकी प्रतिभा की सराहना की।
यशपाल शर्मा ने कब अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में डेब्यू किया?
यशपाल शर्मा ने 1978 में पाकिस्तान के खिलाफ वनडे और 1979 में इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट में डेब्यू किया।
यशपाल शर्मा की क्रिकेट यात्रा का क्या महत्व है?
यशपाल शर्मा की यात्रा यह दिखाती है कि कैसे एक खिलाड़ी की मेहनत और सही पहचान उसे सफलता की ऊँचाइयों तक ले जा सकती है।
यशपाल शर्मा का निधन कब हुआ?
यशपाल शर्मा का निधन 13 जुलाई 2021 को नई दिल्ली में हुआ।