क्या कोई भी धर्म हिंसा सिखाता है? : दिनेश शर्मा

सारांश
Key Takeaways
- हिंसा का कोई धर्म समर्थन नहीं करता।
- सामाजिक सद्भाव बनाए रखना आवश्यक है।
- भ्रमित करने वाली घटनाओं से दूर रहना चाहिए।
- सभी धर्मों का सम्मान करना चाहिए।
- कानून का पालन करना आवश्यक है।
लखनऊ, 27 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। राज्यसभा सदस्य दिनेश शर्मा ने शनिवार को बरेली विवाद की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि कोई भी धर्म हमें हिंसा नहीं सिखाता। उन्होंने कहा कि एक झूठी घटना के आधार पर लोगों को जिस तरह से भ्रमित किया जा रहा है, वह बिल्कुल भी ठीक नहीं है।
दिनेश शर्मा ने समाचार एजेंसी आईएनएस से बातचीत के दौरान कहा कि मैं हिंसा में संलिप्त लोगों से कहना चाहता हूं कि किसी से भी मोहब्बत का इजहार करने की जरूरत नहीं होती। ये लोग मोहम्मद साहब की बात कर रहे हैं, लेकिन पहले इन लोगों को उनकी बात सुन लेनी चाहिए।
एक किस्सा बताते हुए सांसद ने कहा कि एक महिला मोहम्मद साहब के ऊपर रोज कूड़ा फेंक देती थी, लेकिन एक दिन जब उस महिला ने कूड़ा उन पर नहीं फेंका तो वह उसके घर गए। इसके बाद उसकी तिमारदारी की। यानी मोहम्मद साहब की जिंदगी से यह साफ जाहिर होता है कि उन्होंने हिंसा से कभी जवाब नहीं दिया।
दिनेश शर्मा ने कहा कि हिंसा हुई नहीं, लेकिन इसके बावजूद कुछ लोगों ने स्थिति को हिंसात्मक बनाने की कोशिश की, लेकिन मैं एक बात स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि इस तरह की स्थिति को किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता।
सांसद ने कहा, "मैं लोगों से अपील करना चाहूंगा कि आम लोग इसके बहकावे में नहीं आए। इस तरह की स्थिति हमारे समाज के लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं है। हमारे समाज के लिए हिंसा बिल्कुल भी ठीक नहीं है।"
उन्होंने कहा कि यह कुछ लोगों की साजिश है, जो हिंदुस्तान को खुशहाल नहीं देखना चाहते। किसी भी धर्म को हिंसा नहीं स्वीकार करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि हम यह सुनिश्चित करेंगे कि प्रदेश में कानून व्यवस्था बनी रहे। कोई भी कानून से खिलवाड़ न करे और जो हिंसा को बढ़ाने का प्रयास करें, उन पर शिकंजा कसा जाए।