क्या शिवकाशी में दीपावली पर पटाखों की बिक्री 7,000 करोड़ रुपए के पार पहुंच गई है?

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क्या शिवकाशी में दीपावली पर पटाखों की बिक्री 7,000 करोड़ रुपए के पार पहुंच गई है?

सारांश

दीपावली के इस पर्व ने शिवकाशी में पटाखों की बिक्री में एक नई ऊंचाई को छुआ है। 7,000 करोड़ रुपये के कारोबार ने उत्सव की रौनक को और बढ़ा दिया है। जानें इस साल की खासियतें और बाजार का हाल।

Key Takeaways

  • पटाखों की बिक्री में हुई 1,000 करोड़ रुपए की वृद्धि
  • नए उत्पादों ने बाजार में धूम मचाई
  • शिवकाशी का योगदान 90 प्रतिशत पटाखा उत्पादन में
  • हरित पटाखों की मांग में वृद्धि
  • त्योहारों की रौनक में सुधार

चेन्नई, 20 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। देशभर में दीपावली का त्योहार खुशियों के साथ मनाया जा रहा है। इस दौरान पटाखों की बिक्री में एक नया कीर्तिमान स्थापित हुआ है।

पटाखा व्यापारी महासंघ के अनुसार, त्योहारी सीज़न में लगभग 7,000 करोड़ रुपए के पटाखे बिके, जो पिछले साल के 6,000 करोड़ रुपए के कारोबार की तुलना में 1,000 करोड़ रुपए की महत्वपूर्ण वृद्धि दर्शाता है।

हर साल, भारत के लाखों लोग नए कपड़े पहनकर, अपने घरों को सजाकर और रंग-बिरंगे पटाखे फोड़कर, रोशनी के त्योहार दीपावली का जश्न मनाते हैं।

देश के प्रमुख आतिशबाजी निर्माण केंद्रों (तमिलनाडु के शिवकाशी, विरुधुनगर और सत्तूर) में भारी भीड़ उमड़ी। व्यापारियों ने बताया कि त्योहार से पहले देशभर से खरीदार इन शहरों में उमड़ पड़े।

पर्यावरणीय प्रतिबंधों और महामारी से जुड़ी मंदी के कारण वर्षों से फीके पड़े त्योहारों के बाद नए उत्साह को दर्शाते हुए, अन्य राज्यों से भी ऑर्डर आए। इस साल बाजार में नवाचार की भी लहर देखी गई।

पिज्जा और तरबूज जैसे पटाखों की नई किस्मों की शुरुआत ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया और तुरंत बेस्टसेलर बन गए। निर्माताओं ने कहा कि ऐसे नए उत्पादों की भारी मांग ने समग्र बिक्री को बढ़ावा देने में मदद की। फेडरेशन ने बिक्री में इस वृद्धि का श्रेय आंशिक रूप से कई राज्यों में प्रतिबंधों में ढील को दिया। विशेष रूप से, दिल्ली में, जहां कई वर्षों से पूर्ण प्रतिबंध लागू था, हरित पटाखे फोड़ने की अनुमति देने वाली हालिया अदालती मंजूरी ने देशभर में मांग को काफी बढ़ा दिया।

शिवकाशी, जिसे अक्सर भारत की आतिशबाजी राजधानी कहा जाता है, हजारों श्रमिकों को रोजगार देता है और देश के पटाखा उत्पादन का लगभग 90 प्रतिशत यहीं होता है। व्यापारियों ने कहा कि इस साल का त्योहार उद्योग के लिए बहुत जरूरी राहत लेकर आया, जो पर्यावरणीय चिंताओं और नियामक बाधाओं के कारण अनिश्चितता का सामना कर रहा था।

पूरे भारत में एक बार फिर आतिशबाजी की चमक से आसमान जगमगा उठा है। दीपावली 2025 ने न केवल त्योहारों की रौनक लौटा दी है, बल्कि तमिलनाडु के आतिशबाजी क्षेत्र के हजारों छोटे निर्माताओं और व्यापारियों के बीच उम्मीद की किरण भी जगा दी है।

Point of View

यह स्पष्ट है कि दीपावली का त्योहार न केवल भारतीय संस्कृति का हिस्सा है, बल्कि यह देश की अर्थव्यवस्था में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस बार की बिक्री में वृद्धि, त्योहारों को फिर से जीवित करने का संकेत है, और यह हमें एकजुटता और उम्मीद की भावना से भर देती है।
NationPress
20/10/2025

Frequently Asked Questions

दीपावली पर पटाखों की बिक्री में वृद्धि का क्या कारण है?
इस साल नए उत्पादों की शुरुआत और प्रतिबंधों में ढील ने बिक्री में वृद्धि को बढ़ावा दिया है।
शिवकाशी की विशेषता क्या है?
शिवकाशी भारत की आतिशबाजी राजधानी है, जहां देश के लगभग 90 प्रतिशत पटाखों का उत्पादन होता है।
हरित पटाखे क्या हैं?
हरित पटाखे ऐसे पटाखे हैं जो पर्यावरण के अनुकूल होते हैं और इन्हें दिल्ली में हाल ही में अनुमति मिली है।