क्या दीपावली पर रिकॉर्ड व्यापार से अर्थव्यवस्था की स्थिति मजबूत हो रही है?

सारांश
Key Takeaways
- दीपावली पर रिकॉर्ड व्यापार ने एक नया मील का पत्थर स्थापित किया है।
- भाजपा इसे अर्थव्यवस्था की मजबूती का संकेत मानती है।
- कांग्रेस ने आंकड़ों पर प्रश्न उठाए हैं।
- ‘वोकल फॉर लोकल’ मुहिम ने स्वदेशी उत्पादों की मांग बढ़ाई है।
- दीर्घकालिक आर्थिक स्वास्थ्य का आकलन अन्य संकेतकों से किया जाना चाहिए।
नई दिल्ली, 22 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। दीपावली के अवसर पर देशभर में लगभग 6.05 लाख करोड़ रुपए के रिकॉर्ड व्यापार के आंकड़े सामने आए हैं। इस पर भाजपा नेताओं ने इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश की मजबूत अर्थव्यवस्था का संकेत बताया है, वहीं कांग्रेस नेताओं ने इन आंकड़ों की सत्यता पर प्रश्न उठाए हैं।
भाजपा विधायक राम कदम ने कहा कि झूठ को जब दर्पण में सच दिखाई देता है तो वह टिक नहीं पाता। कांग्रेस ने वर्षों तक जनता को भ्रमित किया। 2014 में जब नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद संभाला, तब भारत दुनिया की 11वीं अर्थव्यवस्था थी। आज हम चौथे स्थान पर हैं और तीसरे की ओर बढ़ रहे हैं। यह देश की बढ़ती शक्ति और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है।
राम कदम ने कहा कि दीपावली पर हुआ भारी व्यापार इस बात का प्रमाण है कि हर घर में खुशहाली बढ़ रही है और जनता अब ‘वोकल फॉर लोकल’ के संकल्प को अपनाते हुए स्वदेशी उत्पादों की ओर अग्रसर है।
वहीं, भाजपा सांसद गुलाम अली खटाना ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने देश के लोगों के भीतर राष्ट्र भावना जगाने का काम किया है। पहले किसान अपने बाजरे को औने-पौने दाम पर बेच देते थे, लेकिन आज उसकी गुणवत्ता को पहचान मिली है। पीएम मोदी की ‘वोकल फॉर लोकल’ मुहिम के बाद लोगों में देशी उत्पादों को लेकर उत्साह बढ़ा है। पहले त्योहारों में इतनी खरीदारी नहीं होती थी, अब बाजारों में रौनक लौट आई है।
वहीं, कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने कहा, “पता नहीं भाजपा के पास ये आंकड़े कहां से आए हैं। हमारे बाजारों में इस बार वैसी रौनक नहीं दिखी जैसी बताई जा रही है। लोगों के पास पैसे नहीं हैं। जीएसटी की बढ़ी हुई दरों का असर दो महीने में दिखेगा। जो लोग ज्यादा दर पर सामान खरीदकर कम दर पर बेच रहे हैं, उन्हें भारी नुकसान होगा।”
कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने कहा कि अर्थव्यवस्था का आकलन एक दिन या किसी त्योहार की बिक्री से नहीं किया जा सकता। आर्थिक स्थिति का सही चित्र रोजगार सर्वेक्षण, मुद्रास्फीति दर और बजट के दौरान पेश होने वाले आर्थिक सर्वेक्षण से सामने आएगा। दीपावली पर खरीदारी जरूर हुई होगी, लेकिन इससे देश की अर्थव्यवस्था के दीर्घकालिक स्वास्थ्य का निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता।