क्या डीआरडीओ की प्रयोगशाला और एनटीएच देश में शोध व परीक्षण को मजबूत करेंगे?
सारांश
Key Takeaways
- डीआरडीओ और एनटीएच के बीच सहयोग महत्वपूर्ण है।
- यह अनुसंधान और परीक्षण में नई तकनीकों का उपयोग बढ़ाएगा।
- दोनों संस्थान एक-दूसरे की विशेषज्ञता का लाभ उठाएंगे।
- यह राष्ट्रीय विकास और आत्मनिर्भरता में योगदान देगा।
- समझौता से गुणवत्ता और प्रौद्योगिकी में सुधार होगा।
नई दिल्ली, 28 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। नेशनल टेस्ट हाउस (एनटीएच) और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की प्रयोगशाला ने एक महत्वपूर्ण अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं। यह सहयोग देश में शोध, परीक्षण और प्रशिक्षण संबंधी क्षमताओं को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। इस अनुबंध के तहत दोनों संस्थान न केवल अनुसंधान और परीक्षण से जुड़ी परियोजनाओं पर मिलकर कार्य करेंगे, बल्कि अपनी-अपनी प्रयोगशालाओं और अत्याधुनिक उपकरणों का साझा उपयोग भी कर सकेंगे।
केंद्र सरकार के अनुसार, वैज्ञानिक और तकनीकी विशेषज्ञता का आदान-प्रदान करते हुए यह अनुबंध सेमिनारों, कार्यशालाओं और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से क्षमता निर्माण को भी विशेष महत्व देगा। इसके अलावा, राष्ट्रीय महत्व के उभरते क्षेत्रों में संयुक्त प्रयासों के लिए यह अनुबंध नए अवसरों का निर्माण करेगा।
यह उल्लेखनीय है कि नेशनल टेस्ट हाउस (एनटीएच) केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के विभाग के अंतर्गत कार्य करता है। एनटीएच ने डीआरडीओ की एक प्रयोगशाला, डिफेंस मैटेरियल्स एंड स्टोर्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टैब्लिशमेंट, कानपुर के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। समझौते के अनुसार, यदि किसी संस्था के पास विशेष परीक्षण या मूल्यांकन की सुविधा उपलब्ध नहीं है, तो दूसरी संस्था सहयोग प्रदान करेगी, बशर्ते दोनों पक्षों के बीच पूर्व निर्धारित शर्तें लागू हों। इससे गुणवत्ता परीक्षण, सामग्री विश्लेषण और उन्नत तकनीकों के उपयोग में और अधिक मजबूती आने की उम्मीद है।
नेशनल टेस्ट हाउस की स्थापना वर्ष 1912 में की गई थी। यह संस्थान देशभर में फैली अपनी प्रयोगशालाओं के माध्यम से औद्योगिक और उपभोक्ता उत्पादों की गुणवत्ता परीक्षण, निरीक्षण और प्रमाणन सेवाएं प्रदान करता है। यह एनएबीएल-मान्यता प्राप्त और बीआईएस द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थान है।
वहीं, डीआरडीओ की प्रयोगशाला का इतिहास 1929 से जुड़ा है। यह लंबे समय से रक्षा क्षेत्र के लिए आवश्यक गैर-धात्विक पदार्थों पर अनुसंधान कर रही है। इसके अनुसंधान के क्षेत्र में पॉलिमर, कम्पोजिट, इलास्टोमर, सिरेमिक, तकनीकी वस्त्र, ईंधन, लुब्रिकेंट और अन्य विशेष सामग्रियां शामिल हैं। डीआरडीओ की यह प्रयोगशाला इनके अनुसंधान एवं विकास में अग्रणी भूमिका निभाती रही है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह अनुबंध दोनों संस्थानों की साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इसके तहत दोनों संस्थान अपनी क्षमताओं का एकीकृत उपयोग कर आत्मनिर्भरता, वैज्ञानिक उत्कृष्टता और राष्ट्रीय विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने में योगदान देंगे।