क्या सोना जब्ती मामले में ईडी की बड़ी कार्रवाई हुई? लद्दाख और दिल्ली-एनसीआर में पांच जगहों पर छापेमारी

सारांश
Key Takeaways
- प्रवर्तन निदेशालय ने सोना तस्करी की बड़ी कार्रवाई की है।
- दिल्ली-एनसीआर और लद्दाख में छापेमारी की गई।
- तस्करी में क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग किया गया।
- 10 लोग हिरासत में लिए गए हैं।
- तस्करी का मास्टरमाइंड तेंदु ताशी है।
नई दिल्ली, 9 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आईटीबीपी द्वारा 108 किलोग्राम विदेशी मूल के सोने की जब्ती के मामले में दिल्ली-एनसीआर में पांच स्थानों और लद्दाख में एक स्थान पर आवासीय और व्यावसायिक परिसरों में तलाशी ली।
श्रीनगर जोनल कार्यालय ने यह कार्रवाई विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (फेमा) के प्रावधानों के तहत की। इस दौरान आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद हुए हैं।
डीआरआई ने भी इस मामले की जांच की है। इस जांच से पता चला है कि 1064 किलोग्राम विदेशी मूल के सोने का इस तरह से लेन-देन किया गया था और भुगतान क्रिप्टोकरेंसी यूएसडीटी और टीथर के माध्यम से किया गया था। डीआरआई ने 10 व्यक्तियों को सीओएफईपीओएसए के तहत हिरासत में लिया है और वे अभी भी सीओएफईपीओएसए की हिरासत में हैं।
ईडी की जांच से पता चला है कि तस्करी किया गया विदेशी मूल का सोना एक चीनी नागरिक भू-चुमचुम द्वारा भारत-चीन सीमा (तिब्बत क्षेत्र) के रास्ते भारत में तेंदु ताशी नामक व्यक्ति को अवैध रूप से भेजा जा रहा था।
तेंदु ताशी ही मास्टरमाइंड है और तस्करी की गई विदेशी मूल की सोने की छड़ों को लद्दाख से दिल्ली लाकर आगे के निपटान के लिए पूरी व्यवस्था का जिम्मा उसी पर है।
यह भी पता चला है कि तिब्बत निवासी तेनज़िन खंडप, भू-चुमचुम से विदेशी मूल के सोने का प्राप्तकर्ता था और उसे उक्त सोने को भारत-चीन सीमा तक पहुंचाने और सीमा के चीनी हिस्से में भारतीय कुलियों को सौंपने का काम सौंपा गया था। जांच में यह भी पता चला है कि तेंदु ताशी के निर्देश पर, तेनज़िन सम्फेल (तेनज़िन खंडप के चाचा) ने चीन से 108 किलोग्राम विदेशी मूल का सोना इकट्ठा करने के लिए दो कुलियों की भर्ती की थी।
ईडी की जांच के मुताबिक, तेंदु ताशी ने 1064 किलोग्राम सोने की सफलतापूर्वक तस्करी की है, जिसकी कीमत 20 करोड़ रुपये है। वर्ष 2023 और 2024 के दौरान अपने सोने की तस्करी करने वाले गिरोह के अन्य सदस्यों की मदद से चीन सीमा से भारत में 800 करोड़ रुपये की तस्करी की गई। तस्करी का सोना दिल्ली में कुछ लोगों को दिया जाता था, जो उसे दिल्ली के विभिन्न स्वर्ण आभूषण विक्रेताओं और व्यापारियों को बेचते थे। उक्त विदेशी मूल के सोने की खरीद के लिए भुगतान क्रिप्टोकरेंसी (यूएसडीटी और टीथर) के माध्यम से चीनी सीमा पर भू-चुमचुम को किया जाता था।