क्या एकनाथ शिंदे ने भाजपा को खुश करने के लिए 'जय गुजरात' का नारा दिया?

सारांश
Key Takeaways
- एकनाथ शिंदे का 'जय गुजरात' नारा राजनीतिक विवाद का कारण बना।
- शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी।
- महाराष्ट्र और गुजरात के बीच ऐतिहासिक संबंध हैं, लेकिन नारा देने की प्रथा प्रश्नित है।
- राजनीति में संस्कृति का सम्मान आवश्यक है।
- उपमुख्यमंत्री ने अपनी बातों में उद्धव ठाकरे पर भी निशाना साधा।
मुंबई, 4 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने पुणे में जय हिन्द और जय महाराष्ट्र के साथ जय गुजरात का भी नारा दिया, जिससे राजनीतिक विवाद और बढ़ गया। शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने एकनाथ शिंदे के 'जय गुजरात' नारे पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि शायद एकनाथ शिंदे यह भूल गए हैं कि वे महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री हैं। महाराष्ट्र और गुजरात के बीच ऐतिहासिक संबंध हैं, लेकिन महाराष्ट्र की भूमि पर किसी अन्य राज्य का नारा देने का काम आज तक किसी वरिष्ठ नेता ने नहीं किया।
उन्होंने आरोप लगाया कि पुणे से 'जय गुजरात' का नारा केवल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को खुश करने के लिए दिया गया था। यह महाराष्ट्र के लिए खतरे की घंटी है। महाराष्ट्र को गुजरातीकरण की दिशा में ले जाने की कोशिशें पहले भी हो चुकी हैं; अब यह कार्य एकनाथ शिंदे आधिकारिक रूप से कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि शरद पवार ने भी 'जय कर्नाटक' का नारा दिया था। संजय राउत ने इस सवाल के जवाब में कहा कि शरद पवार ने 'जय कर्नाटक' का नारा महाराष्ट्र में नहीं, बल्कि कर्नाटक में दिया था। किसी भी राज्य में जाकर उसकी सांस्कृति और परंपरा का सम्मान किया जाता है। यह भारत की विविधता और एकता की परंपरा है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि मैं महाराष्ट्र में हूं तो 'जय महाराष्ट्र' बोलूंगा, बंगाल जाऊंगा तो 'जय बंगाल', गुजरात में 'जय गुजरात', और तेलंगाना में 'जय तेलंगाना'। यह उस राज्य की संस्कृति का सम्मान है, न कि अपने राज्य की अस्मिता का अपमान।
उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने पुणे में जय गुजरात बोलने पर कहा कि पुणे में जो कार्यक्रम था, वह गुजरात समुदाय का था, इसलिए मैंने जय गुजरात कहा। लोकसभा चुनाव में जिनके चुनाव प्रचार में पाकिस्तान के झंडे दिखाए गए, उन्हें बोलने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने उद्धव ठाकरे पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने अपना स्वाभिमान 2019 में ही बेच दिया था, जब वे कांग्रेस के साथ गए थे।