क्या एनसीईआरटी पाठ्यक्रम में फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ, ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान और मेजर सोमनाथ शर्मा को शामिल किया गया?

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क्या एनसीईआरटी पाठ्यक्रम में फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ, ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान और मेजर सोमनाथ शर्मा को शामिल किया गया?

सारांश

फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ, ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान और मेजर सोमनाथ शर्मा अब छात्रों के पाठ्यक्रम का हिस्सा हैं। यह परिवर्तन देशभक्ति और सैन्य इतिहास के प्रति समझ को बढ़ाने के उद्देश्य से किया गया है। जानिए इन महान सैनिकों की कहानियों का महत्व।

Key Takeaways

  • फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ की कहानी छात्रों के लिए प्रेरणा है।
  • ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान की बहादुरी को जानना आवश्यक है।
  • मेजर सोमनाथ शर्मा का बलिदान हमें प्रेरित करता है।
  • रक्षा इतिहास की महत्वपूर्ण घटनाएँ छात्रों को सिखाई जाएँगी।
  • देशभक्ति और समर्पण के मूल्यों का विकास होगा।

नई दिल्ली, 7 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ, ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान और मेजर सोमनाथ शर्मा को अब स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। यह कदम देश के छात्रों में देशभक्ति की भावना और भारत के सैन्य इतिहास की समझ को गहरा करने के लिए उठाया गया है।

इन वीरों के जीवन और बलिदान पर आधारित पाठ अब इस शैक्षणिक वर्ष से एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम में जोड़े गए हैं।

रक्षा मंत्रालय के अनुसार, ये प्रेरणादायक कहानियां विभिन्न विषयों और कक्षाओं की किताबों में उपलब्ध हैं। कक्षा 8वीं (उर्दू) में फील्ड मार्शल मानेकशॉ की वास्तविक कहानी को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। कक्षा 7वीं (उर्दू) में ब्रिगेडियर उस्मान की बहादुरी के किस्से और कक्षा 8वीं (अंग्रेजी) में मेजर शर्मा की वीर गाथाएँ सम्मिलित की गई हैं। इन अध्यायों के माध्यम से विद्यार्थियों को भारत के वीर सैनिकों की साहस, नेतृत्व क्षमता और राष्ट्र के प्रति समर्पण से परिचित कराया जाएगा।

फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ, जो भारतीय सेना के पहले अधिकारी थे जिन्हें फील्ड मार्शल की उपाधि प्राप्त हुई, 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में अपने रणनीतिक कौशल और नेतृत्व के लिए आज भी याद किए जाते हैं। वहीं, ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान (मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित) और मेजर सोमनाथ शर्मा (भारत के पहले परमवीर चक्र विजेता) ने देश की सेवा में अपने प्राणों की आहुति दी और देशभक्ति और बलिदान के प्रतीक बन गए।

यह पहल रक्षा मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय और राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के बीच सहयोग का हिस्सा है, जिसके तहत राष्ट्रीय समर स्मारक की विरासत को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जा रहा है।

रक्षा मंत्रालय के अनुसार, इन कहानियों को पाठ्यक्रम में शामिल करने से छात्रों को न केवल भारत के रक्षा इतिहास की महत्वपूर्ण घटनाओं की जानकारी मिलेगी, बल्कि वे संवेदनशीलता, सहानुभूति, भावनात्मक बुद्धिमत्ता और राष्ट्र निर्माण की भावना जैसे महत्वपूर्ण जीवन मूल्यों को भी आत्मसात कर सकेंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 फरवरी 2019 को नई दिल्ली के सेंट्रल विस्टा ‘सी’ हेक्सागोन स्थित आइकॉनिक इंडिया गेट परिसर में राष्ट्रीय समर स्मारक को राष्ट्र को समर्पित किया था। यह स्मारक न केवल हमारे वीर जवानों को सच्ची श्रद्धांजलि है, बल्कि देशवासियों में राष्ट्रभक्ति, उच्च नैतिक मूल्य, बलिदान और राष्ट्रीय एकता की भावना को भी प्रोत्साहित करता है।

Point of View

NationPress
07/08/2025

Frequently Asked Questions

एनसीईआरटी पाठ्यक्रम में कौन-कौन से सैनिक शामिल किए गए हैं?
एनसीईआरटी पाठ्यक्रम में फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ, ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान और मेजर सोमनाथ शर्मा को शामिल किया गया है।
इस पहल का उद्देश्य क्या है?
इसका उद्देश्य छात्रों में देशभक्ति और सैन्य इतिहास की समझ को बढ़ाना है।
ये कहानियाँ बच्चों को कैसे प्रेरित करेंगी?
ये कहानियाँ छात्रों को साहस, नेतृत्व और बलिदान के महत्व को समझाने में मदद करेंगी।