क्या गग्गड़ गांव के 3 परिवारों ने सिख धर्म को अपनाया?

सारांश
Key Takeaways
- गग्गड़ गांव के परिवारों ने आर्थिक तंगी के कारण ईसाई धर्म अपनाया था।
- सिख समुदाय ने उनकी मदद कर उन्हें पुनः सिख धर्म में शामिल किया।
- सामाजिक संगठनों ने परिवारों के घरों की नींव रखी।
- परिवारों ने भविष्य में अपने धर्म के प्रति वचनबद्धता दिखाई।
- समुदाय का समर्थन और सहानुभूति महत्वपूर्ण है।
अमृतसर, 27 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। अजनाला के बॉर्डर के धुसी बांध के समीप स्थित गग्गड़ गांव के कुछ परिवारों ने आर्थिक संकट और परिस्थितियों के कारण सिख धर्म को छोड़कर ईसाई धर्म अपनाया था। लेकिन अब उन्होंने अपनी घर वापसी कर ली है। सिंह साहिब ज्ञानी रघुबीर सिंह और बाबा गुरदेव सिंह कुल्ली वाले ने इन परिवारों को पुनः सिख धर्म में शामिल किया और उनका मनोबल बढ़ाते हुए उनके नष्ट हुए घरों की नींव भी रखी।
गुरुद्वारा नानकसर में शनिवार को एक विशेष आयोजन किया गया, जिसमें भाई गुरदेव सिंह कुल्ली वाले और भाई दर्शन सिंह कुल्ली वाले ने बाढ़ प्रभावित परिवारों के लिए घरों की नींव रखकर निर्माण कार्य का शुभारंभ किया। यह कार्य उन परिवारों के लिए नई उम्मीद लेकर आया है जिन्होंने बाढ़ में अपने घर खो दिए थे।
इस अवसर पर सिंह साहिब ज्ञानी रघुबीर सिंह ने स्वयं उपस्थित होकर परिवारों का हौसला बढ़ाया। उन्होंने कहा कि बाढ़ में तबाह हुए इलाकों के पुनर्वास के लिए शिरोमणि कमेटी पहले दिन से ही सक्रिय है। उन्होंने बताया कि तीन परिवारों, सरदार सुच्चा सिंह, सरदार प्रीत सिंह और सरदार कुलदीप सिंह, के घर पूरी तरह ढह चुके थे, जिनके घरों की नींव का पत्थर रखा गया।
कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण पहलू यह था कि गग्गड़ गांव के कुछ परिवार, जो ईसाई धर्म अपना चुके थे, वे फिर से सिख धर्म में लौट आए। सिंह साहिब ने उन्हें बताया कि सिख धर्म एक समृद्ध और गौरवशाली विरासत है, जिसकी रक्षा के लिए लाखों सिखों ने अपने प्राणों की आहुति दी है। यह सुनकर परिवारों ने सिंह साहिब से माफी मांगी और वचन दिया कि वे अब कभी भी अपना धर्म नहीं छोड़ेंगे।
बाबा गुरदेव सिंह कुल्ली वाले और बाबा हरनेक सिंह सियार वाले ने भी इस सेवा कार्य में विशेष योगदान दिया। संगत के सहयोग से तीन घरों की नींव रखी गई है और जल्द ही ये परिवार अपने नए घरों में स्थानांतरित हो जाएंगे।
सिंह साहिब ने कहा कि हमारा पंथ बहुत समृद्ध है। किसी भी लालच या बहकावे में आकर सिख धर्म छोड़ना हमारी विरासत के प्रति विश्वासघात है। हम अपनी युवा पीढ़ी को यह संदेश देना चाहते हैं कि वे किसी भी परिस्थिति में अपने धर्म से न डिगें। उन्होंने यह भी कहा कि जो परिवार किसी कारणवश अपने धर्म से दूर हो गए हैं, वे वापस मुख्यधारा में आएं। शिरोमणि कमेटी और सामाजिक संगठन हर संभव सहयोग देने के लिए तैयार हैं।
पीड़ित परिवारों ने सिंह साहिब, शिरोमणि कमेटी और सेवादारों का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि बाढ़ के समय कोई राहत सामग्री उनके पास नहीं पहुंची थी, लेकिन आज सिंह साहिब स्वयं उनके पास आए और उनके नए घरों की नींव रखी। यह उनके लिए एक नई शुरुआत है। परिवारों ने कहा कि अब वे सिख धर्म में दृढ़ रहेंगे और किसी भी प्रकार के प्रलोभन में नहीं आएंगे।