क्या गौतमबुद्ध नगर प्रशासन किसानों से पराली जलाने के खिलाफ सख्त है?

सारांश
Key Takeaways
- पराली जलाने से बचें.
- जुर्माना 2,500 से 15,000 रुपए.
- पराली को खाद में बदलें.
- वायु प्रदूषण बढ़ता है.
- कृषि लागत में कमी.
गौतमबुद्ध नगर, 6 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। गौतमबुद्ध नगर जिला प्रशासन ने किसानों से एक बार फिर अपील की है कि वे पराली जलाने से दूर रहें और इसे खेत में ही गलाकर खाद के रूप में प्रयोग करें। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि पराली जलाने पर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के दिशा-निर्देशों के तहत दोषी पाए जाने वाले किसानों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। जुर्माने की राशि 2,500 रुपए से लेकर 15,000 रुपए तक हो सकती है।
उपकृषि निदेशक राजीव कुमार ने कहा कि धान की कटाई शुरू हो चुकी है और कुछ किसान गेहूं की बुवाई की तैयारी में पराली को खेतों में जलाते हैं। पराली जलाने से न केवल वायु प्रदूषण बढ़ता है, बल्कि इससे वातावरण में मौजूद मित्र कीट भी नष्ट होते हैं, जिसके परिणामस्वरूप मानव, पशु और पक्षियों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है।
उन्होंने बताया कि पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए जिला प्रशासन ने ग्राम पंचायत और तहसील स्तर पर विशेष सचल दल गठित किए हैं। इसके साथ ही सैटेलाइट मॉनिटरिंग के माध्यम से भी पराली जलाने की गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है। केंद्र सरकार प्रतिदिन इस पर एक बुलेटिन जारी करती है। यदि कोई किसान पराली जलाते हुए पाया जाता है, तो उसके खिलाफ राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम की धारा 24 के अंतर्गत अर्थदंड की कार्रवाई की जाएगी।
प्रशासन ने चेतावनी दी है कि जुर्माने के अलावा पराली जलाने वाले किसानों को सरकारी योजनाओं के लाभ से भी वंचित किया जा सकता है। इसलिए किसानों से अपील की गई है कि वे इस पारंपरिक गलत तरीके को छोड़कर पराली को खेत में ही गलाकर खाद के रूप में इस्तेमाल करें। यह न केवल पर्यावरण के लिए लाभकारी होगा, बल्कि मिट्टी की उर्वरता भी बढ़ाएगा।
कृषि विभाग ने किसानों को पराली प्रबंधन के लिए उपलब्ध कराई जा रही मशीनों और योजनाओं का लाभ उठाने का आह्वान किया है। जिला प्रशासन का कहना है कि यदि किसान पराली को खाद में बदलकर प्रयोग करते हैं, तो न केवल प्रदूषण से बचाव होगा, बल्कि उनकी खेती की लागत भी घटेगी और उत्पादन में वृद्धि होगी।