क्या गयाजी में पितृपक्ष की चतुर्थी तिथि पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी?

Click to start listening
क्या गयाजी में पितृपक्ष की चतुर्थी तिथि पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी?

सारांश

गयाजी में पितृपक्ष मेला श्रद्धालुओं से गुलजार है। यहाँ पिंडदान और तर्पण का महत्व जानें और जानिए क्यों लोग दूर-दूर से आकर अपने पूर्वजों को मोक्ष दिलाने का प्रयास कर रहे हैं।

Key Takeaways

  • गयाजी में श्रद्धालुओं की संख्या हर वर्ष बढ़ती जा रही है।
  • पितृपक्ष में ब्रह्म सरोवर पर पिंडदान का विशेष महत्व है।
  • यहाँ पिंडदान करने से मोक्ष और शांति की प्राप्ति होती है।
  • पितृपक्ष का मेला धार्मिक आस्था का प्रतीक है।
  • श्रद्धालुओं को यहाँ आकर शांति और संतोष की अनुभूति होती है।

गयाजी, ११ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार के गयाजी में विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला जारी है। देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु प्रतिदिन अपने पितरों की मोक्ष प्राप्ति के लिए यहाँ पिंडदान, तर्पण और अन्य कर्मकांड कर रहे हैं।

पितृपक्ष की चतुर्थी तिथि पर सुबह से ही यहाँ श्रद्धालु अपने पूर्वजों के लिए पिंडदान और तर्पण हेतु ब्रह्म सरोवर पर उमड़ रहे हैं। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, पितृपक्ष के दौरान पूर्वज पितृ लोक से धरती पर आते हैं और यहाँ दिए गए पिंड को ग्रहण कर तृप्त होते हैं।

मुंबई से आए श्रद्धालु पवन ने बताया कि वह परिवार के साथ गयाजी आया है और अपने पितरों की मोक्ष प्राप्ति के लिए पिंडदान और तर्पण कर रहा है। यहाँ पिंडदान करने से मोक्ष और शांति की प्राप्ति होती है। पूरे विश्व में पितरों के मोक्ष के लिए गयाजी जैसा स्थान कहीं नहीं है। यहाँ आकर उन्हें बहुत शांति महसूस हो रही है।

एक अन्य श्रद्धालु श्रवण मोतिलाल ने कहा कि यह यात्रा उनके परिवार के लिए आध्यात्मिक रूप से सशक्त करने वाली रही है। गयाजी में पिंडदान से पितरों को मोक्ष और शांति की प्राप्ति होती है। उन्हें यहाँ आकर बहुत अच्छा लगा है।

वहीं, तारुणी पांडे ने बताया, "पितृपक्ष में ब्रह्म सरोवर पर पिंडदान का महत्व ज्यादा है। यहाँ पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। पितृ प्रसन्न होते हैं और उनका आशीर्वाद मिलता है।"

पितृपक्ष ७ सितंबर से शुरू हुआ है, जिसमें प्रत्येक तिथि का अपना अलग महत्व है। चतुर्थी तिथि पर ब्रह्म सरोवर में पिंडदान से पितरों को विशेष छाया और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

बताया जाता है कि गयाजी में पिंडदान करने से पूर्वजों को हजारों अन्य स्थानों पर किए गए दान के बराबर फल मिलता है। पिंडदान के दौरान चावल, घी, शहद और तिल से बने पिंडों का दान किया जाता है, जो पूर्वजों के सूक्ष्म शरीर को पोषण प्रदान करता है।

Point of View

बल्कि एकता और परिवार के बंधन को भी मजबूत करता है। इस प्रकार के आयोजनों से समाज में आध्यात्मिकता का संचार होता है और लोगों को अपने सांस्कृतिक धरोहर से जोड़े रखता है।
NationPress
11/09/2025

Frequently Asked Questions

पितृपक्ष मेला कब शुरू होता है?
पितृपक्ष मेला हर वर्ष 7 सितंबर से शुरू होता है।
गयाजी में पिंडदान का क्या महत्व है?
गयाजी में पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष और शांति प्राप्त होती है।
पितृपक्ष में कौन-कौन से कर्मकांड किए जाते हैं?
पितृपक्ष में पिंडदान, तर्पण और अन्य धार्मिक कर्मकांड किए जाते हैं।
ब्रह्म सरोवर पर पिंडदान का क्या महत्व है?
ब्रह्म सरोवर पर पिंडदान करने से पितरों को विशेष छाया और मोक्ष प्राप्त होता है।
पिंडदान के दौरान क्या सामग्री का उपयोग किया जाता है?
पिंडदान के दौरान चावल, घी, शहद और तिल से बने पिंडों का उपयोग किया जाता है।