पितृपक्ष में पिंडदानियों का आगमन: क्या मोक्षस्थली गयाजी तैयार है?

सारांश
Key Takeaways
- पितृपक्ष में लाखों श्रद्धालुओं का आगमन होता है।
- गयाजी में पिंडदान के लिए विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं।
- 15 लाख श्रद्धालुओं की उम्मीद है इस वर्ष के मेले में।
- सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए प्रशासन ने पुख्ता प्रबंध किए हैं।
- पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान अनिवार्य है।
गयाजी, 2 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। देश और विदेश से लाखों श्रद्धालु मोक्षस्थली गयाजी में पितृपक्ष के दौरान पिंडदान के लिए आने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। अपने पितरों की आत्मा की शांति और मुक्ति के उद्देश्य से श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े, इसके लिए गयाजी जिला प्रशासन ने व्यापक तैयारियां की हैं।
आश्विन माह के कृष्ण पक्ष में प्रतिपदा से अमावस्या तक चलने वाले पितृपक्ष के दौरान यहाँ बड़ी संख्या में श्रद्धालु पिंडदान करने के लिए आते हैं। सनातन धर्म में पितरों की आत्मा की शांति और मुक्ति के लिए पिंडदान को एक महत्वपूर्ण क्रिया माना जाता है। बिहार का गयाजी इस हेतु सबसे उत्तम स्थान माना जाता है।
इस वर्ष 6 सितंबर से 22 सितंबर के बीच गया में पितृ पक्ष मेला आयोजित किया जाएगा। इस मेले में आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए जिला प्रशासन ने सभी तैयारियों को सुनिश्चित किया है। इस बार पितृपक्ष मेले में 15 लाख से अधिक तीर्थयात्रियों के आगमन की उम्मीद है। गया के जिलाधिकारी शशांक शुभंकर ने राष्ट्र प्रेस को बताया कि इस वर्ष देश-विदेश से लाखों श्रद्धालुओं के आने की संभावना है, जो यहां अपने पूर्वजों का पिंडदान और तर्पण करेंगे।
उन्होंने बताया कि श्रद्धालु 55 पिंड वेदी और 9 तर्पण स्थलों पर कर्मकांड संपन्न करेंगे। प्रशासन ने 19 कार्य समितियों के पदाधिकारियों को जिम्मेदारियां सौंपी हैं। मेला क्षेत्र में दंडाधिकारी और पुलिस बल की व्यापक तैनाती की गई है। नगर निगम, पीएचईडी, विद्युत, और स्वास्थ्य विभाग की संयुक्त प्रतिनियुक्ति की गई है। इसके अलावा सुरक्षा को लेकर भी पुख्ता प्रबंध किए गए हैं। सरकार की ओर से 64 आवासन स्थलों की व्यवस्था की गई है, जिनमें करीब 18,000 तीर्थयात्री रुक सकेंगे। इसके अलावा गांधी मैदान में टेंट सिटी का निर्माण कराया गया है। शहर को चार जोन और 54 सेक्टर में बांटकर साफ-सफाई कराई जा रही है।
विष्णुपद प्रबंध कार्यकारिणी समिति के सचिव गजाधर लाल पाठक ने बताया कि पितृपक्ष मेले का शुभारंभ 6 सितंबर को होगा। इस दिन पिंडदानी पुनपुन के किनारे पिंडदान करेंगे। इसके बाद गयाजी में श्राद्ध आरंभ होगा। तीर्थयात्रियों के लिए मेले के दौरान 158 रिंग बसें चलाई जाएंगी और वृद्ध तीर्थयात्रियों के लिए 65 ई-रिक्शा का निःशुल्क परिचालन कराया जाएगा। पितृपक्ष में लोग अपने पूर्वजों का पिंडदान करते हैं। मान्यता है कि पिंडदान करने से मृत आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।