क्या लद्दाख की सामाजिक कार्यकर्ता गीतांजलि आंगमो ने सुप्रीम कोर्ट में निगरानी का आरोप लगाया?

सारांश
Key Takeaways
- गीतांजलि आंगमो ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है।
- उनके मुताबिक, उनकी निगरानी उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
- पुलिस की कार्रवाई संविधान के अनुच्छेद 19 और 21 का उल्लंघन है।
- सुप्रीम कोर्ट से निगरानी रोकने की मांग की गई है।
- सरकार और पुलिस की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
नई दिल्ली, 23 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। लद्दाख की प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता गीतांजलि आंगमो, जो जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की पत्नी हैं, ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया है।
उन्होंने इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) पर आरोप लगाया है कि उनकी लगातार निगरानी की जा रही है, जिससे उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता और मौलिक अधिकार प्रभावित हो रहे हैं।
गीतांजलि ने अपनी शिकायत में कहा कि जब वे जोधपुर में अपने पति से मिलने गईं, तो राजस्थान पुलिस और आईबी ने उनका पीछा किया। उनकी यात्रा और पति से मुलाकात के दौरान अधिकारी उनकी कड़ी निगरानी कर रहे थे। उन्होंने बताया कि सितंबर में दिल्ली में उनकी प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद से ही उनकी गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है। चाहे वे कहीं भी जाएं, अधिकारी उनके पीछे रहते हैं, जिससे उनकी निजता का हनन हो रहा है।
गीतांजलि ने यह भी बताया कि 7 और 11 अक्टूबर को जब वे जोधपुर हवाई अड्डे पर अपने पति से मिलने पहुंचीं, तो पुलिस ने उन्हें सीधे वाहन में बिठा लिया। जेल में वांगचुक से मुलाकात के दौरान डीसीपी मंगलेश और एक महिला कांस्टेबल भी वहां मौजूद थे, जिन्होंने उनकी बातचीत के नोट्स बनाए। उन्होंने कहा कि जोधपुर में उन्हें कहीं और जाने या किसी अन्य से मिलने की इजाजत नहीं दी गई, जो उनके अधिकारों का उल्लंघन है।
गीतांजलि का कहना है कि पुलिस की यह निगरानी उनके संवैधानिक अधिकारों का हनन है। एक नागरिक के रूप में, उन्हें बिना किसी बाधा के अपने पति से मिलने और जोधपुर जाने का पूरा हक है। साथ ही, निजता के अधिकार के तहत उनकी और वांगचुक की बातचीत को किसी और के सुनने का अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि पुलिस की यह कार्रवाई संविधान के अनुच्छेद 19 (अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) और अनुच्छेद 21 (जीवन और निजता का अधिकार) का उल्लंघन है।
गीतांजलि ने सुप्रीम कोर्ट से इस निगरानी को तुरंत रोकने और उनके अधिकारों की रक्षा करने की मांग की है। मामले की अगली सुनवाई की तारीख का इंतजार है। इस बीच, सरकार और पुलिस की ओर से अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।