क्या जेनपैक्ट इंडिया को फेमा उल्लंघन में मिली क्लीन चिट? ईडी की मंजूरी के बाद आरबीआई ने जारी किया आदेश
सारांश
Key Takeaways
- जेनपैक्ट इंडिया को आरबीआई ने क्लीन चिट दी है।
- कंपनी के खिलाफ सभी कानूनी कार्रवाई समाप्त हो गई है।
- ईडी की मंजूरी के बाद यह आदेश पारित हुआ।
- फेमा के उल्लंघनों की कुल राशि 13.49 करोड़ और 13.01 करोड़ रुपए थी।
- जेनपैक्ट ने फेमा की धारा 15 के तहत कंपाउंडिंग के लिए आवेदन किया था।
नई दिल्ली, 20 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा), 1999 के अंतर्गत जेनपैक्ट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के विरुद्ध दर्ज मामले में एक कंपाउंडिंग ऑर्डर जारी किया है। यह आदेश 17 अक्टूबर को फेमा की धारा 15 के तहत पारित किया गया, जिससे कंपनी के खिलाफ चल रही सभी कार्रवाई समाप्त हो गई है।
आरबीआई के अनुसार, यह आदेश प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से 'नो ऑब्जेक्शन' मिलने के बाद जारी किया गया। इससे पहले, ईडी को मिली विश्वसनीय जानकारी के आधार पर जेनपैक्ट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ फेमा के प्रावधानों के तहत जांच की गई थी।
जांच पूरी होने के बाद, ईडी ने 16 अक्टूबर 2018 को फेमा की धारा 16 के अंतर्गत निर्णायक प्राधिकारी के समक्ष शिकायत दर्ज की थी। इस शिकायत में फेमा के तहत दो प्रमुख उल्लंघनों का उल्लेख किया गया था।
पहला उल्लंघन विदेशी निवेश से संबंधित था, जिसमें फेमा 20/2000-आरबी के शेड्यूल-1 के पैरा 9(1)(ए) के अंतर्गत विदेशी इनवर्ड पेमेंट की रिपोर्टिंग में देरी पाई गई। इस देरी की कुल राशि 13.49 करोड़ रुपए बताई गई।
दूसरा उल्लंघन शेयर जारी करने के बाद फॉर्म एफसीजीपीआर दाखिल करने में देरी से जुड़ा था। यह भी फेमा 20/2000-आरबी के शेड्यूल-1 के पैरा 9(1)(बी) के अंतर्गत आता है, जिसमें देरी की राशि 13.01 करोड़ रुपए आंकी गई।
इन उल्लंघनों के कारण निर्णायक प्राधिकारी ने 17 अक्टूबर 2018 को कंपनी और उस समय के निदेशकों तथा अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया था।
बाद में, जेनपैक्ट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने फेमा की धारा 15 के तहत इन उल्ल infringements को कंपाउंड कराने के लिए आरबीआई के समक्ष आवेदन किया। आरबीआई के अनुरोध पर, ईडी ने इस कंपाउंडिंग के लिए अपनी सहमति दी।
इसके पश्चात, आरबीआई ने 17 अक्टूबर 2025 को कंपाउंडिंग ऑर्डर जारी करते हुए कंपनी पर एकमुश्त 4,72,490 रुपए का भुगतान तय किया। इस भुगतान के साथ ही जेनपैक्ट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, उसके अधिकारियों और निदेशकों के खिलाफ फेमा के तहत चल रही सभी न्यायिक और प्रशासनिक कार्रवाई पूरी तरह समाप्त हो गई।