क्या गाजियाबाद के राजनगर इस्कॉन मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ देखी गई?

सारांश
Key Takeaways
- गोवर्धन पूजा का आयोजन इस्कॉन मंदिर में भव्य तरीके से किया गया।
- भक्तों ने अन्नकूट महोत्सव का आनंद लिया।
- मंदिर में 10 फुट ऊंचे गोवर्धन महाराज बनाए गए।
- 50,000 से अधिक श्रद्धालु प्रतिवर्ष इस अवसर पर दर्शन करने आते हैं।
- यह परंपरा द्वापर युग से जुड़ी हुई है।
गाजियाबाद, 22 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। गोवर्धन पूजा का पर्व पूरे देश के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में भी भव्य तरीके से मनाया गया। जो भक्त इस विशेष दिन पर मथुरा जाकर गिरिराज की परिक्रमा नहीं कर पाते, उनके लिए गाजियाबाद के राजनगर स्थित इस्कॉन मंदिर आस्था का एक महत्वपूर्ण स्थल बना है। यहां भक्त गोवर्धन महाराज की पूजा कर और परिक्रमा करके अपनी इच्छाएं प्रकट कर रहे हैं।
राजनगर इस्कॉन मंदिर में गोवर्धन पूजा और अन्नकूट महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठा कर भक्तों की रक्षा करने की याद में उनकी आराधना की जाती है।
मंदिर के उपाध्यक्ष धनंजय दास ने कहा, "हर बार की तरह इस वर्ष भी मंदिर में अन्नकूट से गोवर्धन का भव्य स्वरूप सजाया गया है। इसमें मीठे चावल, हलवा, विभिन्न प्रकार की सब्जियां, फल, मिठाइयां और नमकीन शामिल हैं। इस वर्ष खास तौर पर ढाई क्विंटल चावल, एक क्विंटल हलवा और कई प्रकार की सब्जियां भगवान श्रीकृष्ण को अर्पित की गई हैं।"
उन्होंने आगे बताया, "मंदिर परिसर में 10 फुट ऊंचे विशाल गोवर्धन महाराज बनाए गए हैं, जो भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। सुबह से ही मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ है। श्रद्धालु दिनभर भक्ति गीतों पर नाचते, झूमते और हरिनाम का कीर्तन करते दिखाई दे रहे हैं।"
धनंजय दास ने कहा, "गोवर्धन पूजा के इस अवसर पर सभी को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं। सुबह से ही भक्तगण भगवान श्री गिरिराज की कथा और कीर्तन में लगे हुए हैं। अंदर अन्नकूट के प्रसाद से भव्य गोवर्धन पर्वत तैयार किया गया है, जिसमें मीठे चावल, खीर, हलवा, सब्जी, मिठाइयां और मठरी शामिल हैं।"
मंदिर प्रबंधन के अनुसार, श्रद्धालु रात 12 बजे तक मंदिर में दर्शन के लिए आ सकते हैं। हर साल यहां गोवर्धन पूजा के अवसर पर लगभग 50,000 से अधिक श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं, विशेषकर वे जो मथुरा जाने में असमर्थ होते हैं। पूजा संपन्न होने के बाद भगवान को अर्पित किया गया अन्नकूट भक्तों को प्रसाद के रूप में वितरित किया जाएगा।
गोवर्धन पूजा की यह परंपरा द्वापर युग से जुड़ी हुई है। मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों को इंद्र की पूजा के बजाय प्रकृति और गोवर्धन पर्वत की पूजा करने के लिए प्रेरित किया। इससे इंद्र देव नाराज हो गए और भारी बारिश करने लगे। श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठा कर सभी ब्रजवासियों और गोवंश की रक्षा की थी।