क्या गिरिडीह के खंडोली डैम में जल समाधि लेने पहुंचे सैकड़ों ग्रामीण?

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क्या गिरिडीह के खंडोली डैम में जल समाधि लेने पहुंचे सैकड़ों ग्रामीण?

सारांश

गिरिडीह के खंडोली डैम में सैकड़ों ग्रामीणों ने जल समाधि का ऐलान किया है। उनका आरोप है कि डैम के सीमांकन के नाम पर उनकी जमीन पर जबरन कब्जा किया जा रहा है। प्रशासन से उनकी मांगें अनसुनी हो रही हैं। क्या प्रशासन उनकी समस्याओं का समाधान करेगा?

Key Takeaways

  • ग्रामीणों का विरोध प्रशासन के खिलाफ एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है।
  • जमीन के अधिकारों की सुरक्षा आवश्यक है।
  • जल समाधि आंदोलन ने स्थानीय प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं।
  • ग्रामीणों की आठ सूत्री मांगें प्रशासन को गंभीरता से लेनी चाहिए।
  • सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने के बावजूद, तनाव का माहौल बना हुआ है।

गिरिडीह, 8 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड के गिरिडीह जिले में स्थित खंडोली डैम से जुड़ा जमीन विवाद अब गंभीर रूप ले चुका है। डैम के निकटवर्ती क्षेत्रों में निवास करने वाले सैकड़ों ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि डैम के सीमांकन के नाम पर उनकी जमीन पर अवैध कब्जा किया जा रहा है। इस पर विरोध स्वरूप, सोमवार को सैकड़ों ग्रामीण डैम पहुंचे और जल समाधि लेने का निर्णय किया।

मौके पर तैनात पुलिस बल ने डैम में प्रवेश कर रहे लोगों को बलात्कारी तरीके से बाहर निकाला। इस दौरान आंदोलनकारियों और पुलिस के बीच काफी देर तक नोंकझोंक हुई। झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (जेएलकेएम) के बैनर तले चल रहे “खंडोली बचाओ अभियान” के अंतर्गत ग्रामीणों ने अपनी आठ सूत्री मांगों को लेकर ‘जल समाधि आंदोलन’ का ऐलान पहले से ही किया था। प्रशासन को भी इसकी सूचना दी गई थी।

ग्रामीणों का कहना है कि वर्ष 1992 में जब खंडोली में डैम बनाने के लिए दामोदर वैली कॉरपोरेशन (डीवीसी) की ओर से जमीन का अधिग्रहण किया गया था, तब स्पष्ट रूप से सीमांकन नहीं किया गया। अब डैम का सीमांकन किया जा रहा है और इस दौरान उनकी पुश्तैनी और रैयती जमीन को भी डैम क्षेत्र में शामिल कर लिया गया है।

उनका आरोप है कि जिला प्रशासन ने गलत तरीके से जमीन का अधिग्रहण किया है। अधिकारी इसका कोई दस्तावेज भी नहीं दिखा रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि बिना मुआवजा और पुनर्वास के उन्हें बेदखल किया जा रहा है। आंदोलनकारियों ने अंचल अधिकारी और जिला प्रशासन को पहले ही आठ सूत्री मांगों का ज्ञापन सौंपा था, जिसमें जमीन का पुन: सीमांकन करने, रैयतों की जमीन लौटाने, विस्थापित परिवारों को मुआवजा और पुनर्वास देने की मांगें शामिल हैं।

ग्रामीणों का कहना है कि अब तक इन पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। जेएलकेएम नेताओं ने चेतावनी दी है कि यदि प्रशासन ने उनकी मांगों पर 15 दिनों के भीतर सकारात्मक पहल नहीं की, तो बड़ी संख्या में ग्रामीण डैम में सामूहिक जल समाधि लेंगे। सोमवार के प्रदर्शन के बाद डैम क्षेत्र में तनाव का माहौल है। जिला प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी है।

Point of View

बल्कि राज्य के विकास के लिए भी महत्वपूर्ण है।
NationPress
08/09/2025

Frequently Asked Questions

ग्रामीणों की मुख्य मांगें क्या हैं?
ग्रामीणों की मुख्य मांगों में भूमि का पुन: सीमांकन, रैयतों की जमीन लौटाना और विस्थापित परिवारों को मुआवजा तथा पुनर्वास प्रदान करना शामिल है।
क्या प्रशासन ने ग्रामीणों की मांगों का समाधान किया है?
अब तक प्रशासन ने ग्रामीणों की मांगों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है।
जल समाधि आंदोलन का क्या महत्व है?
जल समाधि आंदोलन ग्रामीणों के अधिकारों के लिए संघर्ष का प्रतीक है और यह प्रशासन पर दबाव बनाने का एक तरीका है।