क्या गोवा क्रांति दिवस पर राम मनोहर लोहिया ने आजादी की आवाज़ उठाई?

सारांश
Key Takeaways
- राम मनोहर लोहिया का गोवा की आज़ादी में अहम योगदान।
- 18 जून 1946 को गोवा की आज़ादी की नींव रखी गई।
- हर साल 18 जून को गोवा क्रांति दिवस मनाया जाता है।
- 19 दिसंबर 1961 को गोवा को पुर्तगालियों से मुक्त कराया गया।
- 4 फरवरी 1987 को कोंकणी को आधिकारिक भाषा बनाया गया।
नई दिल्ली, 17 जून (राष्ट्र प्रेस)। भारत को ब्रिटिश साम्राज्य से 1947 में आज़ादी मिली, लेकिन गोवा को पुर्तगालियों से आजादी के लिए 14 सालराम मनोहर लोहिया का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण रहा। उन्होंने 18 जून 1946 को गोवा के लोगों को दमनकारी शासन के खिलाफ संघर्ष के लिए प्रेरित किया, जो बाद में एक बड़ी क्रांति साबित हुई।
पुर्तगालियों का कब्जा उस समय से शुरू हुआ जब वास्कोडिगामा 1498 में भारत आया था। 19वीं शताब्दी तक, पुर्तगालियों का प्रभाव केवल कुछ तटीय क्षेत्रों और द्वीपों तक सीमित रह गया, जिसमें गोवा एक महत्वपूर्ण हिस्सा था।
गोवा की आज़ादी का 18 जून का दिन विशेष महत्व रखता है, क्योंकि 1946 में इस दिन गोवा की स्वतंत्रता की नींव रखी गई थी। लोहिया ने मडगांव में एक विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए अपनी गिरफ्तारी दी और गोवा के लोगों के लिए एक सामूहिक सत्याग्रह शुरू किया, जिसमें उन्होंने युवाओं से विदेशी बेड़ियों को तोड़ने का ऐतिहासिक आह्वान किया। इसलिए हर साल 18 जून को 'गोवा क्रांति दिवस' मनाया जाता है और इस दिन स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि दी जाती है।
भारत ने 1947 में अंग्रेज़ों से आज़ादी पाई, लेकिन गोवा को अपनी आज़ादी के लिए 14 साल और इंतज़ार करना पड़ा। 19 दिसंबर 1961 को गोवा को पुर्तगालियों से मुक्त कराया गया, जिसे हर साल 'गोवा मुक्ति दिवस' के रूप में मनाया जाता है। भारतीय सेना ने 'ऑपरेशन विजय' चलाकर गोवा को मुक्त कराया, जिसमें पुर्तगाली सेनाओं ने मामूली प्रतिरोध किया।
आजादी के बाद, 4 फरवरी 1987 का दिन गोवा के लिए विशेष रहा, क्योंकि इस दिन कोंकणी को गोवा की आधिकारिक भाषा बनाया गया। 30 मई 1987 को गोवा को भारत के 25वें राज्य का दर्जा दिया गया। पहले, यहाँ के लोगों ने जनमत सर्वेक्षण के माध्यम से केंद्र शासित प्रदेश बने रहने का निर्णय लिया था।