क्या गोपाष्टमी पर महिलाएं कृष्णा भक्ति में डूबकर भगवान शालिग्राम और तुलसी के विवाह की तैयारी कर रही हैं?

Click to start listening
क्या गोपाष्टमी पर महिलाएं कृष्णा भक्ति में डूबकर भगवान शालिग्राम और तुलसी के विवाह की तैयारी कर रही हैं?

सारांश

प्रयागराज में गोपाष्टमी के पावन पर्व पर महिलाएं भगवान शालिग्राम और तुलसी के विवाह की तैयारियों में जुट गई हैं। यह पर्व गायों की सेवा और संरक्षण का प्रतीक है, और महिलाएं अपने श्रद्धा भाव से इस पर्व को मनाने में जुटी हैं। जानिए इसके पीछे का महत्व और समारोह की खास बातें।

Key Takeaways

  • गोपाष्टमी गायों की सेवा का पर्व है।
  • महिलाएं इस दिन भगवान शालिग्राम और तुलसी के विवाह की तैयारियों में जुटी हैं।
  • भगवान कृष्ण ने इस दिन गाय चराना शुरू किया था।
  • देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु जागते हैं।
  • पर्व का पालन धार्मिक और सांस्कृतिक दोनों दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है।

प्रयागराज, 29 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को गोपाष्टमी का पावन पर्व मनाया जाता है। यह त्योहार पशुओं के संरक्षण और गाय की सेवा के प्रति समर्पित है।

कहा जाता है कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने गौवंश की रक्षा का संकल्प लिया था और लोगों को गायों की सेवा का महत्व बताया था। इसके साथ ही आज से भगवान शालिग्राम और तुलसी के विवाह की तैयारियां भी आरंभ हो गई हैं। प्रयागराज के यमुना घाट पर महिलाओं ने विवाह समारोह से पहले की तैयारियों में जुट गई हैं।

प्रयागराज में गोपाष्टमी के इस पावन पर्व से भगवान शालिग्राम और तुलसी के विवाह की रस्में शुरू हो चुकी हैं। महिला श्रद्धालुओं ने पहले यमुना में स्नान किया और इसके बाद ठाकुर जी की बाल गोपाल प्रतिमा को झूला झूलाकर उनकी आराधना की।

एक महिला श्रद्धालु ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "आज गोपाष्टमी है और आज से शालिग्राम और तुलसी के विवाह अनुष्ठानों की शुरुआत होती है। हम ठाकुर जी का तिलक करते हैं, दही, दूध, घी और मक्खन स्नान करवाते हैं और विवाह अनुष्ठानों की तैयारी में पूजा करते हैं।"

बता दें कि विवाह की तैयारियां देवउठनी एकादशी तक चलेंगी और इसी एकादशी के अगले दिन द्वादशी पर भगवान शालिग्राम और तुलसी का विवाह संपन्न होगा। देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु चार महीने की निद्रा से जागते हैं और भक्त उन्हें जगाने के लिए विशेष अनुष्ठान करते हैं। इस दिन गेरुआ से घर सजाया जाता है और भगवान विष्णु की प्रतिमा बनाई जाती है।

गोपाष्टमी का पर्व भगवान कृष्ण और गायों की भक्ति से संबंधित है। प्रयागराज के तीर्थ पुरोहित ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि गोपाष्टमी का महत्व भगवान कृष्ण और गायों की पूजा से जुड़ा है, जो कार्तिक मास की अष्टमी को मनाया जाता है। इस दिन भगवान कृष्ण ने पहली बार गाय चराना शुरू किया था और यह पर्व गायों और बछड़ों के प्रति सेवा भाव का प्रतीक है।

उन्होंने आगे कहा कि "आज से भगवान शालिग्राम और माता तुलसी की विवाह रस्में भी आरंभ हो जाती हैं।"

गौरतलब है कि इस बार देवउठनी एकादशी 1 नवंबर को मनाई जाएगी और देश भर के सभी मंदिरों में रातभर अनुष्ठान और पूजा-पाठ का आयोजन होगा।

Point of View

जहां यह भगवान कृष्ण और गायों के प्रति श्रद्धा का प्रतीक है। यह पर्व न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह पशु संरक्षण की भावना को भी उजागर करता है। सभी श्रद्धालुओं को इस पर्व का पालन करना चाहिए और गायों के प्रति सेवा भाव को बढ़ावा देना चाहिए।
NationPress
29/10/2025

Frequently Asked Questions

गोपाष्टमी क्या है?
गोपाष्टमी कार्तिक मास की अष्टमी तिथि को मनाया जाने वाला एक धार्मिक पर्व है, जो गायों की सेवा और संरक्षण को समर्पित है।
इस दिन भगवान कृष्ण का क्या महत्व है?
इस दिन भगवान कृष्ण ने पहली बार गाय चराना शुरू किया था, जिससे गायों की सेवा का महत्व भी सामने आया।
भगवान शालिग्राम और तुलसी का विवाह कब होता है?
भगवान शालिग्राम और तुलसी का विवाह देवउठनी एकादशी के दिन संपन्न होता है, जो गोपाष्टमी के बाद आता है।
गोपाष्टमी पर महिलाएं क्या करती हैं?
महिलाएं इस दिन यमुना में स्नान करती हैं, भगवान की आराधना करती हैं और विवाह की तैयारियों में जुट जाती हैं।
देवउठनी एकादशी का क्या महत्व है?
इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की निद्रा से जागते हैं, और भक्त विशेष अनुष्ठान करते हैं।