क्या गोवर्धन पूजा, अन्नकूट, बलि प्रतिपदा और गुजराती नव वर्ष का संगम होगा बुधवार को?

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क्या गोवर्धन पूजा, अन्नकूट, बलि प्रतिपदा और गुजराती नव वर्ष का संगम होगा बुधवार को?

सारांश

कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा पर गोवर्धन पूजा, अन्नकूट, बलि प्रतिपदा और गुजराती नव वर्ष का विशेष महत्व है। यह दिन धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अनोखा है। आइए जानें इन पर्वों के पीछे की कहानियाँ और उत्सव की तैयारी।

Key Takeaways

  • गोवर्धन पूजा का धार्मिक महत्व है।
  • बलि प्रतिपदा दानव राजा बलि को समर्पित है।
  • गुजराती नव वर्ष आर्थिक समृद्धि का प्रतीक है।
  • यह दिन कई त्योहारों का संगम है।
  • इन पर्वों से सांस्कृतिक एकता को बढ़ावा मिलता है।

नई दिल्ली, 21 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि बुधवार को है। इस दिन गोवर्धन, अन्नकूट पूजा, बलि प्रतिपदा और गुजराती नव वर्ष मनाए जाते हैं। ये सभी पर्व दीवाली के बाद मनाए जाते हैं और इनका धार्मिक व सांस्कृतिक महत्व विशेष है।

द्रिक पंचांग के अनुसार, सूर्य तुला राशि में और चंद्रमा भी तुला राशि में रहेंगे। इस दिन कोई अभिजीत मुहूर्त नहीं है और राहुकाल का समय दोपहर 12 बजकर 5 मिनट से शुरू होकर 1 बजकर 30 मिनट तक रहेगा।

गोवर्धन पूजा: भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाकर इंद्र देवता के अहंकार को खत्म किया था, जिसके बाद गोवर्धन पूजा करने की परंपरा शुरू हुई। यह पर्व कार्तिक प्रतिपदा को मनाया जाता है, जिसे अन्नकूट पूजा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन लोग गेहूं, चावल, बेसन की कढ़ी और पत्तेदार सब्जियों से बने स्वादिष्ट व्यंजन तैयार करते हैं और इसे भगवान कृष्ण को अर्पित करते हैं। यह पूजा प्रकृति और अन्न के महत्व को भी दर्शाती है। महाराष्ट्र में इसे बलि प्रतिपदा या बलि पड़वा के रूप में मनाया जाता है, जिसमें भगवान वामन की राजा बलि पर विजय की कथा को याद किया जाता है।

बलि प्रतिपदा: बलि प्रतिपदा का उल्लेख कूर्म पुराण, मत्स्य पुराण और ब्रह्म पुराण में मिलता है। यह पर्व दानव राजा बलि को समर्पित है। मान्यता है कि भगवान विष्णु ने वामन अवतार में राजा बलि को पाताल लोक भेजा था, लेकिन उन्हें तीन दिन पृथ्वी पर आने की अनुमति दी थी। इस दिन भक्त राजा बलि और उनकी पत्नी विन्ध्यावली की छवि को पांच रंगों से सजाकर पूजा करते हैं। दक्षिण भारत में ओणम पर्व के दौरान भी राजा बलि की पूजा की जाती है, जो बलि प्रतिपदा से मिलती-जुलती है।

गुजराती नव वर्ष: गुजराती समुदाय कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को नया साल मनाते हैं। इस दिन पुरानी खाता बही (चोपड़ा) बंद कर नई पुस्तकों का शुभारंभ किया जाता है। दीवाली की लक्ष्मी पूजा के दौरान चोपड़ाओं का पूजन होता है, जिसमें मां लक्ष्मी से समृद्धि की प्रार्थना की जाती है। नई खाता बही पर शुभ चिह्न बनाकर लोग नए वित्तीय वर्ष को लाभकारी बनाने की कामना करते हैं।

Point of View

बलि प्रतिपदा और गुजराती नव वर्ष जैसे पर्व न केवल धार्मिक आस्था को दर्शाते हैं, बल्कि सांस्कृतिक एकता को भी प्रदर्शित करते हैं। ये पर्व हमें हमारी परंपराओं से जोड़े रखते हैं और समाज में भाईचारा बढ़ाते हैं।
NationPress
21/10/2025

Frequently Asked Questions

गोवर्धन पूजा का महत्व क्या है?
गोवर्धन पूजा भगवान श्री कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत को उठाने की घटना को याद करती है, जो इंद्र देवता के अहंकार को समाप्त करने के लिए की गई थी।
बलि प्रतिपदा कब मनाई जाती है?
बलि प्रतिपदा कार्तिक मास की शुक्ल प्रतिपदा को मनाई जाती है।
गुजराती नव वर्ष कैसे मनाया जाता है?
गुजराती नव वर्ष कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता है, जिसमें पुरानी खाता बही बंद कर नई पुस्तकों का शुभारंभ किया जाता है।