गुजरात: क्या मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने 'राष्ट्रीय वन शहीद दिवस' पर शहीद वनकर्मियों को श्रद्धांजलि दी?

सारांश
Key Takeaways
- गुजरात में 'राष्ट्रीय वन शहीद दिवस' मनाया जाता है।
- मुख्यमंत्री ने शहीद वनकर्मियों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
- वन कर्मचारियों के बलिदान को सम्मानित करने के लिए स्मारक स्थापित किया गया।
- वन क्षेत्रों के संरक्षण के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध है।
- प्रकृति की सुरक्षा में सभी को जागरूक होना चाहिए।
गांधीनगर, 11 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने 'राष्ट्रीय वन शहीद दिवस' के अवसर पर गुरुवार को उन वीर वनकर्मियों को याद किया, जिन्होंने वन क्षेत्रों के संरक्षण और वन्य जीवन की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। उन्होंने गांधीनगर में स्थित राज्य के पहले 'वन स्मारक' पर शहीद वनकर्मियों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
हर वर्ष 11 सितंबर को 'राष्ट्रीय वन शहीद दिवस' मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य उन वन रक्षकों और वन अधिकारियों को सम्मानित करना है, जिन्होंने अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए अपनी जान दे दी। इसी क्रम में मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने गांधीनगर के सेक्टर 30 स्थित वन जागरूकता केंद्र में बने 'वानिकी स्मारक' पर शहीद वनकर्मियों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने उन 9 शहीद वनकर्मियों के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त की, जिन्होंने गुजरात में अपने प्राणों की आहुति दी।
इस अवसर पर राज्य के पर्यटन, वन और पर्यावरण मंत्री मुलुभाई बेरा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि जिन वनकर्मियों ने वन क्षेत्रों के संरक्षण और वन्य जीवन की रक्षा में अपनी जिंदगी खोई है, उनके लिए 'शहीद स्मारक' का निर्माण किया गया है। गुरुवार को मुख्यमंत्री और मंत्रियों ने शहीद वनकर्मियों को श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
गुजरात के मुख्यमंत्री कार्यालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा, "प्रकृति का अभिन्न अंग वन सभी जीवों के अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण हैं। यह दिन उन वन शहीदों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का है, जिन्होंने वन क्षेत्रों की प्राकृतिक संपदा और संपूर्ण वन्य जीवन की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी।"
पोस्ट में आगे कहा गया, "मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में राज्य सरकार वन क्षेत्रों के संरक्षण और विकास के लिए प्रतिबद्ध है और 'वानिकी स्मारक' का निर्माण करके वनकर्मियों के साहस, शौर्य और बलिदान की स्मृति को जीवंत रखा गया है। आइए हम सभी वनों और वन्य जीवन की रक्षा करने वाले वीर वनकर्मियों के योगदान और बलिदान की सराहना करें और प्रकृति के इस अनमोल उपहार के संरक्षण के प्रति अधिक जागरूक और संवेदनशील बनें।