क्या एशियाई शेर की दहाड़ गुजरात का गौरव और भारत की विरासत बनी रहेगी?: सीएम भूपेंद्र पटेल

सारांश
Key Takeaways
- गुजरात में शेरों की संख्या में वृद्धि हुई है।
- प्रधानमंत्री मोदी का संरक्षण में योगदान महत्वपूर्ण है।
- शेरों का संरक्षण गुजरात की पहचान है।
- स्थानीय समुदायों का संरक्षण में सहयोग आवश्यक है।
- अवसंरचना का विकास शेर संरक्षण में सहायक है।
द्वारका, 10 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। गुजरात के देवभूमि द्वारका जिले के बरदा वन्यजीव अभयारण्य में रविवार को 'विश्व शेर दिवस 2025' का आयोजन किया गया। इस विशेष अवसर पर गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने भाग लिया।
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने अपने संबोधन में कहा कि शेर मां जगदम्बा का प्रतीक है। भारतीय राज मुद्रा में शेर का स्थान है। भगवान कृष्ण की कर्मभूमि द्वारका में 'विश्व शेर दिवस' मनाना एक अद्वितीय अनुभव है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के शेरों को देश की पहचान का वैश्विक प्रतीक बनाया है। उनके मार्गदर्शन में शेरों के संरक्षण के लिए कई सफल प्रयास किए गए हैं।
मुख्यमंत्री ने एशियाई शेरों की आबादी के संरक्षण और वृद्धि के प्रति गुजरात की प्रतिबद्धता को दोहराया और कहा कि राज्य इस अद्वितीय प्रजाति का वैश्विक निवास स्थान बना रहेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में वैज्ञानिक संरक्षण उपायों और सामुदायिक सहभागिता के माध्यम से गुजरात में शेरों की संख्या 674 से बढ़कर 891 हो गई है।
भूपेंद्र पटेल ने कहा कि 180 करोड़ रुपए की लागत से नए आवास, उन्नत पशु चिकित्सा सुविधाएं और इको-टूरिज्म अवसंरचना का उद्घाटन शेर संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। 143 वर्षों के बाद, शेर बरदा क्षेत्र में वापस लौट आए हैं, जिससे पारिस्थितिक संतुलन बहाल हुआ है और राज्य की प्राकृतिक विरासत में वृद्धि हुई है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि गुजरात आवास प्रबंधन, मानव-वन्यजीव संघर्ष शमन और स्थानीय समुदायों के लिए आजीविका के अवसरों में अग्रणी बना रहेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि एशियाई शेर की दहाड़ गुजरात का गौरव और भारत की विरासत बनी रहे। मुख्यमंत्री ने इन उपलब्धियों को हासिल करने में वन विभाग, स्थानीय समुदायों और संरक्षण भागीदारों की भूमिका की सराहना की।
केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने भारत में शेरों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि पर खुशी व्यक्त की, जो 2020 में 674 से बढ़कर 891 हो गई है।
उन्होंने कहा, "एशियाई शेर (पैंथेरा लियो पर्सिका) सफल वन्यजीव संरक्षण का एक वैश्विक प्रतीक है, और इस 'विश्व शेर दिवस' पर, हम उनकी उल्लेखनीय वृद्धि का जश्न मना रहे हैं। 1990 में सिर्फ 284 शेरों से बढ़कर, 2025 में इनकी संख्या बढ़कर 891 हो गई है, जो 2020 से 32 प्रतिशत और पिछले एक दशक में 70 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि है।"
इसे 'संरक्षण की आश्चर्यजनक सफलता' बताते हुए मंत्री ने इस उपलब्धि का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व को दिया, जिन्होंने पहले गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में और बाद में प्रधानमंत्री के रूप में 'प्रोजेक्ट लायन' को कार्य का प्राथमिक क्षेत्र बनाया।