क्या गुलाम अली खटाना ने उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार राधाकृष्णन के समर्थन में वोट देने की अपील की?

सारांश
Key Takeaways
- गुलाम अली खटाना की अपील ने राजनीतिक समर्थन को उजागर किया।
- उपराष्ट्रपति पद के लिए सीपी राधाकृष्णन का चयन महत्वपूर्ण है।
- बच्चों के भविष्य के लिए परीक्षाएं आवश्यक हैं।
- पंजाब में बाढ़ के कारण लोगों को सहायता की ज़रूरत है।
- आत्मनिर्भरता और पहचान के लिए महत्वपूर्ण पदों का महत्व है।
नई दिल्ली, 8 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। उपराष्ट्रपति पद के चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता और सांसद गुलाम अली खटाना ने सभी सांसदों से एनडीए के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन के समर्थन में वोट देने की अपील की।
भाजपा सांसद गुलाम अली खटाना ने राष्ट्र प्रेस से खास बातचीत में कहा कि मैं सभी सांसदों से निवेदन करता हूं कि वे देश की जनता के हित में एनडीए के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन के समर्थन में वोट करें। उन्होंने संवैधानिक पदों पर किया गया कार्य उल्लेख किया और कहा कि इनके चयन से देश और सांसदों को लाभ मिलेगा।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में इंडिया गठबंधन की अपील को देश की जनता सुनने के पक्ष में नहीं है।
इसके अलावा, भाजपा सांसद गुलाम अली खटाना ने जम्मू और कश्मीर में शुरू हो रही बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन परीक्षाओं पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा कि बच्चों का भविष्य महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा कोविड काल में ऑनलाइन कक्षाओं की व्यवस्था शुरू की गई थी, अन्यथा छात्रों का भविष्य प्रभावित होता। परीक्षाएं जरूरी हैं और इन्हें और नहीं टाला जा सकता।
उन्होंने पंजाब में आई बाढ़ के बारे में भी बात की और कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पंजाब दौरे पर जा रहे हैं। प्रदेश में काफी नुकसान हुआ है। नदियों के किनारे बसे लोगों और किसानों की फसलों को नुकसान हुआ है। ऐसे में बाढ़ पीड़ित लोगों के साथ खड़े होने की ज़रूरत है।
वहीं, उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री संजय निषाद ने कहा कि जिस दिन एनडीए उम्मीदवार की घोषणा हुई, हमने उन्हें जीत की बधाई दी थी। हमें पूरा विश्वास है कि वह जरूर जीतेंगे। उन्हें सबका समर्थन प्राप्त है। विपक्ष को हर जगह बाधाएं नहीं डालनी चाहिए। कुछ महत्वपूर्ण पद हैं, जिनके लिए सकारात्मक सोच रखनी चाहिए। देश निर्माण, आत्मनिर्भरता और पहचान के लिए यह पद महत्वपूर्ण हैं। इंडिया गठबंधन को हार का सामना करना स्वीकार है, लेकिन सहयोग के लिए तैयार नहीं होते हैं।