क्या गुंडाराज और लूटराज हिमाचल सरकार की पहचान बन गई है?

सारांश
Key Takeaways
- गुंडाराज और लूटराज का आरोप कांग्रेस सरकार पर।
- अनिरुद्ध सिंह की मारपीट से बढ़ी राजनीतिक हलचल।
- भाजपा ने कानून व्यवस्था पर उठाए सवाल।
- कांग्रेस के नेताओं की टिप्पणियों पर उठे सवाल।
- खड़गे की सत्ता पर प्रश्नचिह्न।
नई दिल्ली, 1 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार के मंत्री अनिरुद्ध सिंह की समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। एनएचएआई इंजीनियर के साथ मारपीट करने के मामले में उन्हें कड़ी सजा मिल सकती है। इस मामले में भाजपा ने राज्य की कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा है। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि गुंडाराज और लूटराज सुक्खू सरकार की पहचान बन गए हैं।
शहजाद पूनावाला ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत के दौरान कहा कि कांग्रेस ने हिमाचल में लूटराज के बाद अब गुंडाराज का प्रमाण पेश किया है और यह गुंडाराज खुद उनके मंत्री स्थापित कर रहे हैं। अगर मंत्री सरकारी ऑफिसर को लहूलुहान करेंगे तो कानून व्यवस्था का क्या होगा? प्रदेश में यह पहली बार नहीं हो रहा है। इससे पहले हिमाचल की एक पुलिस ऑफिसर का तबादला इसलिए किया गया था क्योंकि उसने कांग्रेस के एमएलए की पत्नी के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
उन्होंने राहुल गांधी से सवाल करते हुए कहा, "भारत जोड़ो यात्रा में आपके साथ चलने वाले मंत्री ने जो किया है, क्या यह मोहब्बत की दुकान है या ये गुंडों के भाईजान हैं?"
उन्होंने कहा, "हिंदुओं का अपमान करना कांग्रेस की पहचान बन गई है। यह एक हिंदू विरोधी पार्टी है और अब जिन्ना की मुस्लिम लीग का नया संस्करण बन गई है। कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह ने पहले भी 26/11 हमलों के लिए हिंदुओं को दोषी ठहराने का काम किया था। उन्होंने कहा कि कांवड़ यात्रा से नफरत फैलती है। क्या किसी अन्य समुदाय के खिलाफ ऐसी टिप्पणी की जाएगी?"
शहजाद पूनावाला ने कहा कि अखिलेश यादव हिंदुओं और संत समाज का अपमान करते रहे हैं। उन्होंने साधु-संतों को टेबल के नीचे से पैसे लेने और रामचरितमानस पर गलत टिप्पणी करने के लिए आलोचना की है। इन लोगों का मकसद है "हिंदू को दो गाली ताकि मिले वोट बैंक की ताली।"
एक सवाल के जवाब में शहजाद पूनावाला ने कहा, "कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने शायद, या तो मासूमियत से या बहुत चालाकी से, यह स्पष्ट कर दिया है कि पार्टी में उनके पास पद तो है, लेकिन सत्ता नहीं है। उनके पास अध्यक्ष की उपाधि हो सकती है, लेकिन निर्णय लेने का अधिकार उनका नहीं है। केवल 'हाईकमान' ही निर्णय ले सकता है।"