क्या गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर भारत और बांग्लादेश के राष्ट्रगान के रचयिता हैं, जिन्होंने 'नाइटहुड' की उपाधि लौटाई?

Click to start listening
क्या गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर भारत और बांग्लादेश के राष्ट्रगान के रचयिता हैं, जिन्होंने 'नाइटहुड' की उपाधि लौटाई?

सारांश

क्या आप जानते हैं कि रवींद्रनाथ टैगोर ने न केवल भारत बल्कि बांग्लादेश के राष्ट्रगान भी रचे हैं? उनकी रचनाओं ने दोनों देशों के बीच एक अद्वितीय सांस्कृतिक संबंध स्थापित किया। इस लेख में हम उनके जीवन, रचनात्मकता और उनके योगदान पर चर्चा करेंगे।

Key Takeaways

  • रवींद्रनाथ टैगोर भारत और बांग्लादेश के राष्ट्रगान के रचयिता हैं।
  • उन्होंने 1913 में साहित्य में नोबेल पुरस्कार जीता।
  • टैगोर ने 'गीतांजलि' जैसे कई प्रसिद्ध कृतियों की रचना की।
  • उन्होंने नाइट की उपाधि लौटाई थी।
  • उनका योगदान केवल साहित्य तक सीमित नहीं है।

नई दिल्ली, 6 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। दो देश, दो राष्ट्रगान, और रचयिता एक... ऐसा कम ही देखने को मिलता है जब दो अलग-अलग देशों के राष्ट्रगान के रचयिता एक ही व्यक्ति हों। यह एक अनोखा संयोग है जिसमें एक महान साहित्यकार और दार्शनिक की विरासत छिपी हुई है, जिनकी रचनाओं ने भारत और बांग्लादेश के दिलों को जोड़ा। उनकी प्रसिद्ध रचनाएँ 'जन गण मन' और 'आमार सोनार बांग्ला' ने न केवल दोनों देशों को पहचान दिलाई बल्कि उनकी साझा सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को भी जीवंत किया।

हम बात कर रहे हैं रवींद्रनाथ टैगोर की, जिन्हें गुरुदेव के नाम से भी जाना जाता है। भारत के एक महान कवि, लेखक, दार्शनिक, संगीतकार, चित्रकार और शिक्षाविद्, रवींद्रनाथ टैगोर पहले गैर-यूरोपीय थे, जिन्होंने 1913 में साहित्य में नोबेल पुरस्कार जीता। उन्होंने अपनी कृतियों से बंगाली और भारतीय साहित्य को विश्व स्तर पर अलग पहचान दिलाई। उनकी रचनाओं में मानवतावाद, प्रकृति, प्रेम और आध्यात्मिकता का संगम देखने को मिलता है।

7 मई, 1861 को पश्चिम बंगाल के कोलकाता (कलकत्ता) में जन्मे गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर एक प्रतिष्ठित बंगाली परिवार से संबंधित थे। उनके पिता देवेंद्रनाथ टैगोर ब्रह्म समाज के प्रमुख नेता थे। कहा जाता है कि औपचारिक शिक्षा में उनकी रुचि कम थी, इसलिए उन्होंने घर पर विद्वानों से साहित्य, दर्शन और विज्ञान की शिक्षा ग्रहण की। उनका बचपन से ही कविता और साहित्य की ओर झुकाव था, और इसी कारण उन्होंने अपनी पहली कविता 8 वर्ष की उम्र में लिखी। जब वह 16 वर्ष के थे, उनका पहला कविता संग्रह प्रकाशित हुआ। समय के साथ उनकी रचनाओं का कारवां बढ़ता गया और उन्होंने 'गीतांजलि', 'चोखेर बाली', 'गोरा', 'काबुलीवाला', 'चार अध्याय' और 'घरे बाइरे' जैसे कई प्रसिद्ध उपन्यास लिखे।

उनकी कविताओं का संग्रह 'गीतांजलि' ने बंगाली साहित्य को समृद्ध बनाया। 'गीतांजलि' के लिए उन्हें 1913 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया, और वह नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहले एशियाई थे। टैगोर ने लगभग 2,000 गीत लिखे, जिन्हें 'रवींद्र संगीत' के नाम से जाना जाता है। भारत का राष्ट्रीय गान 'जन गण मन' और बांग्लादेश का राष्ट्रीय गान 'आमार सोनार बांग्ला' उनकी रचनाएं हैं।

ब्रिटिश सरकार ने 1915 में उन्हें नाइट की उपाधि दी थी, लेकिन उन्होंने 'जलियांवाला बाग हत्याकांड' के विरोध में इस सम्मान को छोड़ दिया।

रवींद्रनाथ टैगोर ने 1921 में 'शांति निकेतन' की स्थापना की, जिसे आज सेंट्रल यूनिवर्सिटी 'विश्व भारती' के नाम से जाना जाता है। टैगोर विश्व भ्रमण करने वाले व्यक्ति थे और उन्होंने पांच महाद्वीपों के 30 से अधिक देशों की यात्रा की। उन्होंने उस समय की जानी-मानी हस्तियों जैसे अल्बर्ट आइंस्टीन, रोमेन रोलांड, रॉबर्ट फ्रॉस्ट, जीबी शॉ, और थॉमस मान से मुलाकात की।

इसके अलावा, रवींद्रनाथ टैगोर का राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के साथ भी अनोखा रिश्ता था। विदेश मंत्रालय द्वारा प्रकाशित पत्रिका 'भारत संदर्श' में महात्मा गांधी के एक बयान का जिक्र है, जिसमें उन्होंने गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की प्रशंसा की थी।

महात्मा गांधी ने रवींद्रनाथ टैगोर के लिए कहा था, "अपने हजारों देशवासियों के समान, मैं भी उनका ऋणी हूं, जिन्होंने अपनी काव्य प्रतिभा और जीवन की बेजोड़ निर्मलता से भारत की छवि को संसार में एक बुलंदी प्रदान की।"

इसके अलावा, टैगोर ने 1929 और 1937 में विश्व धर्म संसद में भाषण दिया। उन्होंने साहित्य, चित्रकला और संगीत के क्षेत्र में भी कीर्तिमान स्थापित किया। 7 अगस्त, 1941 को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कहा।

Point of View

यह कहना अत्यंत आवश्यक है कि गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर का योगदान केवल साहित्य तक सीमित नहीं है। उनका दृष्टिकोण और विचारधारा आज भी समाज को प्रेरित करती हैं। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम उनकी धरोहर को संजोएं और आने वाली पीढ़ियों को उनके योगदान के महत्व से अवगत कराएं।
NationPress
21/09/2025

Frequently Asked Questions

रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म कब हुआ था?
रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई, 1861 को पश्चिम बंगाल के कोलकाता में हुआ था।
टैगोर ने किस वर्ष में नोबेल पुरस्कार जीता?
रवींद्रनाथ टैगोर ने 1913 में साहित्य में नोबेल पुरस्कार जीता।
रवींद्रनाथ टैगोर के प्रसिद्ध कार्य कौन से हैं?
उनके प्रसिद्ध कार्यों में 'गीतांजलि', 'काबुलीवाला', 'गोरा' आदि शामिल हैं।
गुरुदेव टैगोर ने किस उपाधि को लौटाया?
उन्होंने 1915 में दी गई नाइट की उपाधि को जलियांवाला बाग हत्याकांड के विरोध में लौटाया।
क्या टैगोर ने संगीत भी लिखा है?
जी हां, टैगोर ने लगभग 2000 गीत लिखे, जिन्हें 'रवींद्र संगीत' के नाम से जाना जाता है।