ग्वालियर: क्या नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती पुलिस कांस्टेबल की मौत पिटाई के कारण हुई?

सारांश
Key Takeaways
- अजय भदौरिया की संदिग्ध मौत ने एक बार फिर नशा मुक्ति केंद्रों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं।
- परिजनों का आरोप है कि अजय को केंद्र में बुरी तरह पिटाई की गई थी।
- पुलिस ने मामले में गंभीरता से जांच शुरू की है।
- मामले में एफआईआर का न होना भी एक बड़ा मुद्दा है।
- जांच के बाद दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
ग्वालियर, 23 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में एक नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती एसएएफ (स्पेशल आर्म्ड फोर्स) के पुलिस कांस्टेबल की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत का मामला उजागर हुआ है। मृतक की पहचान भिंड निवासी अजय भदौरिया के रूप में हुई है, जो वर्तमान में मंदसौर में तैनात था।
परिजनों के अनुसार, अजय शराब की लत से जूझ रहा था, इसीलिए 23 जुलाई को उसे ग्वालियर के बिजौली थाना क्षेत्र में स्थित मंथन नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती किया गया था। लेकिन, भर्ती के मात्र 24 घंटे बाद, 24 जुलाई को उसकी मृत्यु हो गई।
पुलिस का कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में अजय के शरीर पर कई स्थानों पर गंभीर चोटों के निशान मिले हैं, जिससे पिटाई की आशंका जताई जा रही है। परिजनों ने आरोप लगाया है कि केंद्र में अजय की बुरी तरह पिटाई की गई, जिससे उसकी मौत हुई। उनका यह भी कहना है कि केंद्र के संचालक पोस्टमार्टम करने से भाग रहे थे। हालांकि, पुलिस के हस्तक्षेप के बाद शव को अस्पताल ले जाकर पीएम करवाया गया।
बिजौली थाना प्रभारी मनीष यादव ने पत्रकारों को बताया कि मृतक अजय भदौरिया का करीब 10 दिन पहले एक्सीडेंट भी हुआ था और उसी के कारण उसे चोटें आई थीं। इसलिए पोस्टमार्टम में जो चोटों का जिक्र है, वह उस पुराने हादसे का भी परिणाम हो सकता है। फिर भी, पुलिस ने जांच शुरू कर दी है और परिजनों के आरोपों को गंभीरता से लिया जा रहा है। यदि जांच में किसी की भूमिका सामने आती है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
वहीं, अजय के परिवारवालों का आरोप है कि अब तक किसी के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं हुई है, जबकि पोस्टमार्टम में मौत का कारण "पिटाई" बताया गया है। वे दोषियों पर हत्या का मामला दर्ज करने की मांग कर रहे हैं। फिलहाल, मामले की जांच जारी है।