क्या अमेरिकी टैरिफ से आम जनता को होगा नुकसान? हन्नान मोल्लाह का बयान

सारांश
Key Takeaways
- हन्नान मोल्लाह ने अमेरिकी टैरिफ पर चिंता व्यक्त की।
- आम जनता को नुकसान की आशंका।
- केंद्र सरकार की नीतियों पर सवाल।
- कृषि प्रणाली में अंतर को उजागर किया।
- 13 अगस्त को ट्रंप के खिलाफ प्रदर्शन।
नई दिल्ली, 31 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। सीपीआई (एम) के नेता हन्नान मोल्लाह ने अमेरिका द्वारा 25 फीसदी टैरिफ लगाने को गंभीर चिंता का विषय बताया। उन्होंने कहा कि इससे आम जनता को काफी नुकसान होगा। साथ ही, उन्होंने केंद्र सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए। उनका कहना था कि केंद्र केवल स्थिति को संभालने की कोशिश कर रहा है और समझौते का रास्ता अपनाने पर ध्यान दे रहा है।
हन्नान ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि सरकार का मौजूदा रवैया दर्शाता है कि वह दोहरा मापदंड अपना रही है। अंदर कुछ और, बाहर कुछ और कहा जा रहा है, जिसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता। जिस प्रकार से उन्होंने ब्रिटेन के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट किया, अब वह अमेरिका के साथ भी उसी तरह का समझौता करने की सोच रहे हैं। इससे केवल आम जनता को ही परेशानी होगी।
सीपीएम नेता ने अमेरिका और भारत की कृषि प्रणाली के बीच के भेद को भी उजागर किया। उन्होंने कहा, "भारत में एक किसान को धान उत्पादन में कुल लागत 2000 से 2500 रुपये आती है, जबकि अमेरिका में यह लागत केवल 1000 रुपये है। ऐसे में, अमेरिका चाह ले तो हमारे अनाज का वितरण मुफ्त में कर सकता है, लेकिन हमें इससे नुकसान होगा।"
उन्होंने यह भी जोड़ा कि हमारे देश में लगभग आठ करोड़ महिलाओं की जीविका गाय पालन पर निर्भर है। इसके अलावा, लाखों किसान हैं जिनकी आजीविका का स्रोत डेयरी और मत्स्य पालन है। ऐसे में, अगर ट्रंप के टैरिफ में वृद्धि को लागू किया गया, तो निश्चित रूप से इसका असर लोगों पर पड़ेगा। केंद्र सरकार को इस दिशा में कदम उठाना चाहिए, लेकिन अफसोस कि ऐसा होते नहीं दिख रहा। इसी कारण हम 13 अगस्त को देशभर में ट्रंप के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे।
हन्नान ने राष्ट्रपति ट्रंप की मंशा पर भी प्रश्न उठाते हुए कहा कि अमेरिका विश्व में दबाव डालने की कोशिश कर रहा है। वह अपने उत्पादों को वैश्विक स्तर पर बेचना चाहता है। अगर हम अमेरिका के सामान को भारतीय बाजार में अनुमति नहीं देंगे, तो वह हमारे उत्पादों को भी अपने बाजार में अनुमति नहीं देगा। हालांकि, हमारे किसान यह स्पष्ट कर चुके हैं कि वे अपने उत्पादों को सस्ते दामों पर नहीं बेचेंगे। यदि ऐसा हुआ, तो किसानों और सरकार के बीच टकराव की स्थिति उत्पन्न होगी। यदि विदेश से सस्ते उत्पादों की आमद होगी, तो हमारे किसान भाइयों का क्या होगा?
वहीं, मालेगांव ब्लास्ट पर कोर्ट के फैसले पर उन्होंने कहा कि सभी को पता है कि वास्तव में इस हमले के पीछे किसका हाथ था। हालांकि, यह बात नहीं नकार सकते कि सांप्रदायिक तत्वों को राजनीतिक और न्यायिक संरक्षण मिल रहा है।