क्या हर 10 में 8 भारतीय व्यवसाय ट्रेड पॉलिसी में बदलाव को सकारात्मक मानते हैं?
सारांश
Key Takeaways
- 77% व्यवसायों का कहना है कि व्यापार नीति का प्रभाव बढ़ रहा है।
- 49% व्यवसाय खुद को अधिक सूचित मानते हैं।
- 82% व्यवसाय वैकल्पिक फाइनेंसिंग की तलाश में हैं।
- 78% व्यवसायों का मानना है कि उनकी आय बढ़ेगी।
- भारतीय व्यवसाय पड़ोसी बाजारों के साथ व्यापार को प्राथमिकता दे रहे हैं।
नई दिल्ली, २५ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। हर 10 में से आठ भारतीय व्यवसाय, हाल में हुई ट्रेड पॉलिसी में बदलाव को सकारात्मक मानते हैं और उनका मानना है कि अगले दो वर्षों में इसका प्रभाव स्पष्ट होगा। यह जानकारी मंगलवार को जारी एक सर्वेक्षण में सामने आई।
एचएसबीसी इंडिया के सर्वेक्षण में कहा गया कि भारतीय व्यवसायों का आत्मविश्वास बढ़ रहा है और वे वैश्विक व्यापार की चुनौतियों का समाधान करने में सक्षम हैं। वहीं, 77 प्रतिशत भारतीय व्यवसाय छह महीने पहले की तुलना में अपने परिचालन पर व्यापार नीति के प्रभाव के बारे में अधिक निश्चित हैं।
सर्वेक्षण में यह भी बताया गया कि 49 प्रतिशत भारतीय व्यवसाय बदलते व्यापारिक माहौल में खुद को अधिक सूचित और तैयार मानते हैं। यह आंकड़ा कुछ महीने पहले 44 प्रतिशत था।
केवल 23 प्रतिशत भारतीय कंपनियों का मानना है कि व्यापारिक अनिश्चितता अगले दो वर्षों में उनके परिचालन पर प्रभाव डाल सकती है, जो कि वैश्विक औसत 32 प्रतिशत से कम है।
एचएसबीसी इंडिया के ग्लोबल ट्रेड सॉल्यूशंस के हेड मोहित अग्रवाल ने कहा, "भारतीय व्यवसाय अपनी मजबूत और आशावाद के कारण निरंतर आगे बढ़ रहे हैं। सर्वेक्षण से यह स्पष्ट होता है कि भारत के बिजनेस लीडर्स अपने वैश्विक समकक्षों की तुलना में अधिक आश्वस्त हैं और कई को उम्मीद है कि व्यापार नीति में बदलाव उनके विकास पर सकारात्मक प्रभाव डालेगा। यह आत्मविश्वास उभरते वैश्विक व्यापार परिदृश्य में भारत की मजबूत स्थिति को दर्शाता है।"
फंडिंग की कमी को दूर करने के लिए 82 प्रतिशत भारतीय व्यवसाय सक्रिय रूप से वैकल्पिक फाइनेंसिंग स्रोतों की तलाश कर रहे हैं।
सर्वेक्षण के अनुसार, 78 प्रतिशत भारतीय व्यवसाय का मानना है कि उनकी आय अगले दो वर्षों में बढ़ेगी, जो कि 57 प्रतिशत के वैश्विक औसत से काफी अधिक है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय व्यवसाय पड़ोसी बाजारों के साथ व्यापार को प्राथमिकता दे रहे हैं और दक्षिण पूर्व एशिया, यूरोप, दक्षिण एशिया, पूर्व/उत्तर एशिया और ओशिनिया में अपनी उपस्थिति बढ़ाने की योजना बना रहे हैं।