हर इंसान की बॉडी ओडर क्यों होती है अलग?

सारांश
Key Takeaways
- पसीना शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है।
- हर व्यक्ति की बॉडी ओडर अलग होती है।
- पसीना ग्रंथियां मुख्यतः एक्राइन और एपोक्राइन होती हैं।
- पसीने में मुख्यतः पानी और नमक होता है।
- स्वस्थ रहने के लिए पर्याप्त हाइड्रेशन जरूरी है।
नई दिल्ली, 2 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। पसीना आना शरीर की एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जो हमारे शरीर के तापमान को नियंत्रित करके उसे ठंडा रखती है। यह गर्मी, तनाव या व्यायाम के दौरान अधिक सक्रिय होती है। पसीना न केवल शरीर के तापमान को संतुलित करता है, बल्कि यह हमारी स्वास्थ्य और भावनाओं से भी गहराई से जुड़ा होता है।
पसीना ग्रंथियां त्वचा के भीतर स्थित सूक्ष्म नलिकाएं होती हैं, जो पसीना बनाकर उसे रोमछिद्रों के माध्यम से बाहर निकालती हैं। हर व्यक्ति की त्वचा पर लगभग 20 से 40 लाख पसीना ग्रंथियां होती हैं, जो पूरे शरीर में फैली रहती हैं, लेकिन हथेली, तलवे, माथा और बगल जैसे स्थानों पर इनकी संख्या अधिक होती है।
पसीना ग्रंथियां मुख्यतः दो प्रकार की होती हैं: एक्राइन और एपोक्राइन। एक्राइन ग्रंथियां पूरे शरीर में फैली होती हैं और ये पानी जैसा पसीना निकालती हैं, जिसका मुख्य उद्देश्य शरीर को ठंडा करना है। जबकि एपोक्राइन ग्रंथियां बगल और गुप्तांग क्षेत्र में होती हैं, इनका पसीना गाढ़ा और प्रोटीनयुक्त होता है, जिसे त्वचा पर मौजूद बैक्टीरिया तोड़ते हैं और इससे विशिष्ट गंध उत्पन्न होती है। यही कारण है कि हर व्यक्ति की बॉडी ओडर अलग होती है।
पसीना केवल शरीर के गर्म होने से नहीं, बल्कि भावनाओं से भी संबंधित होता है। डर, तनाव या खुशी की स्थिति में भी पसीना आ सकता है, क्योंकि उस समय एक्राइन ग्रंथियां सक्रिय हो जाती हैं। हथेलियों और तलवों का पसीना गंधरहित होता है, क्योंकि वहां केवल एक्राइन ग्रंथियां पाई जाती हैं।
पसीने में मुख्यतः पानी और नमक (सोडियम क्लोराइड) होता है। लंबे समय तक पसीना आने से शरीर में नमक और मिनरल्स की कमी हो सकती है, जिससे थकान और मांसपेशियों में खिंचाव जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
अक्सर यह गलतफहमी होती है कि पसीने के माध्यम से शरीर के विषैले तत्व (टॉक्सिन्स) बाहर निकलते हैं, जबकि वैज्ञानिक दृष्टि से यह पूरी तरह सही नहीं है। पसीने का मुख्य कार्य शरीर का तापमान संतुलित रखना है, जबकि टॉक्सिन्स को बाहर निकालने का कार्य लिवर और किडनी करते हैं।
जब शरीर का तापमान बढ़ता है, तो मस्तिष्क का हाइपोथैलेमस हिस्सा पसीना ग्रंथियों को संकेत देता है। इसके बाद ग्रंथियां पानी, नमक और थोड़ी मात्रा में यूरिया मिलाकर पसीना तैयार करती हैं। जैसे ही पसीना त्वचा की सतह पर आकर वाष्पित होता है, शरीर ठंडा हो जाता है। यदि किसी व्यक्ति में पसीना ग्रंथियां काम न करें, तो यह स्थिति एनहाइड्रोसिस कहलाती है, जिसमें शरीर गर्मी और धूप को सहन नहीं कर पाता और हीट स्ट्रोक जैसी स्थिति बन सकती है।
पसीना ग्रंथियों की देखभाल के लिए शरीर को हाइड्रेट रखना सबसे जरूरी है। रोजाना पर्याप्त पानी पीने से यह प्रणाली संतुलित रहती है। तुलसी और नीम का सेवन त्वचा को बैक्टीरिया से बचाता है और पसीने की दुर्गंध कम करता है। धूप से बचाव के लिए हल्के कपड़े और छाते का प्रयोग करें। रोजाना स्नान, प्राकृतिक साबुन या नीम पानी से शरीर धोना स्वच्छता बनाए रखता है। अदरक की चाय भी शरीर की शुद्धि और पाचन सुधार में सहायक है। इस प्रकार सरल उपायों को अपनाकर हम पसीना ग्रंथियों को स्वस्थ रख सकते हैं और शरीर को प्राकृतिक रूप से फिट और संतुलित रख सकते हैं।