क्या हाई कोर्ट ने नेल्लई मंदिर की संपत्ति अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए समिति गठन का आदेश दिया?

सारांश
Key Takeaways
- मंदिर की संपत्तियों की सुरक्षा के लिए समिति बनाई जाएगी।
- अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया छह सप्ताह में शुरू होगी।
- मंदिर के रखरखाव के लिए आय का उपयोग किया जाएगा।
मदुरै, 30 जून (राष्ट्र प्रेस)। मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ ने सोमवार को तिरुनेलवेली के ऐतिहासिक अरुलमिगु शंकरनारायण स्वामी मंदिर की अतिक्रमित संपत्तियों को पुनः प्राप्त करने और उनके उचित रखरखाव के लिए महत्वपूर्ण आदेश जारी किए।
जस्टिस एस.एम. सुब्रमण्यम और मारिया क्लेटे की खंडपीठ ने तेनकासी जिला कलेक्टर को एक संयुक्त समिति बनाने का आदेश दिया, जिसकी जिम्मेदारी होगी मंदिर की संपत्तियों की पहचान करना, अतिक्रमण हटाना और उनका प्रबंधन सुनिश्चित करना।
यह आदेश मंदिर के भक्त और ट्रस्टी राधाकृष्णन की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया गया। याचिका में यह बताया गया कि यह प्राचीन मंदिर, जहाँ प्रतिदिन हजारों भक्त दर्शन के लिए आते हैं, की संपत्ति की कीमत 100 करोड़ रुपए से अधिक है। हालांकि, 2018 से हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग तथा जिला प्रशासन को कई बार शिकायतें करने के बावजूद, अतिक्रमित संपत्तियों के पुनः प्राप्ति के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
अदालत ने कहा कि मंदिर की संपत्तियों की सुरक्षा और रखरखाव विभागीय नियमों के अनुसार होना चाहिए, लेकिन इस दिशा में पिछले कई वर्षों से कोई कार्रवाई नहीं की गई। कोर्ट ने निर्देश दिया कि अतिक्रमणकारियों को मंदिर की जमीन से हटाया जाए और उससे होने वाली आय का उपयोग केवल मंदिर के रखरखाव और भक्तों के कल्याण के लिए किया जाए।
अदालत ने तेनकासी जिला कलेक्टर को छह सप्ताह के भीतर संयुक्त समिति गठित करने और बैठक आयोजित करने का आदेश दिया। यह समिति अतिक्रमित संपत्तियों की पहचान कर कब्जामुक्त कराने की कार्रवाई शुरू करेगी। याचिकाकर्ता राधाकृष्णन को भी समिति में शामिल करने का निर्देश दिया गया है, क्योंकि वे पहले भी इस मुद्दे पर चर्चा में भाग ले चुके हैं।
इस निर्णय के साथ, अदालत ने याचिका का निपटारा कर दिया। यह कदम मंदिर की संपत्तियों की रक्षा और उनके उचित उपयोग के लिए एक महत्वपूर्ण पहल मानी जा रही है।