क्या हिमाचल का यह मंदिर हर 12 साल में आकाशीय बिजली गिरने से शिवलिंग को चकनाचूर कर देता है?

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क्या हिमाचल का यह मंदिर हर 12 साल में आकाशीय बिजली गिरने से शिवलिंग को चकनाचूर कर देता है?

सारांश

क्या आप जानते हैं कि हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में एक ऐसा मंदिर है, जहां हर 12 साल में आकाशीय बिजली गिरने से शिवलिंग चकनाचूर हो जाता है? जानें इस अद्भुत मंदिर के बारे में और इसकी चमत्कारी पुनर्स्थापना की प्रक्रिया।

Key Takeaways

  • बिजली महादेव मंदिर हर 12 साल में अद्भुत चमत्कार का गवाह बनता है।
  • आकाशीय बिजली गिरने से शिवलिंग चकनाचूर होता है।
  • टूटे हुए शिवलिंग को पुनर्स्थापित करने की प्रक्रिया चमत्कारिक है।
  • इस मंदिर की पौराणिक कथा इसे और भी रोचक बनाती है।

कुल्लू, 18 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। हिमाचल प्रदेश की सुरम्य वादियों में एक अद्भुत मंदिर है, जहां स्थापित शिवलिंग हर 12 साल में चकनाचूर हो जाता है। इतना ही नहीं, इस शिवलिंग को पुनः जोड़ने की प्रक्रिया जानकर आप दंग रह जाएंगे।

हम बात कर रहे हैं कुल्लू जिले की ऊंची पहाड़ियों पर स्थित बिजली महादेव मंदिर की। यह शांत वातावरण और देवदार के घने जंगलों के बीच एक ऐसा स्थल है जहां हर 12 वर्षों में एक अनोखा चमत्कार घटित होता है। यहां का शिवलिंग सचमुच चकनाचूर हो जाता है।

कुल्लू से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर और समुद्र तल से करीब 7874 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर दिखने में साधारण है, लेकिन इसकी परंपरा अत्यंत असाधारण है। स्थानीय जन बताते हैं कि हर बारह वर्ष में शिवलिंग पर आकाशीय बिजली गिरती है। इसे एक दुर्घटना नहीं, बल्कि भगवान शिव की दिव्य लीला माना जाता है। मान्यता है कि भगवान शिव स्वयं आकाशीय बिजली को अपने ऊपर गिरने देते हैं, ताकि धरती पर आने वाले संकटों को पहले ही समाप्त किया जा सके।

जब बिजली गिरती है, तो एक तेज धमाके के साथ शिवलिंग कई टुकड़ों में टूट जाता है, लेकिन यही टूटना यहां की परंपरा का सबसे अद्भुत हिस्सा है। कुछ दिनों बाद, मंदिर के पुजारी और स्थानीय लोग मिलकर मक्खन और सत्तू का लेप लगाकर टूटे हुए टुकड़ों को कुशलता से जोड़ते हैं। धीरे-धीरे यह लेप कठोर हो जाता है और शिवलिंग फिर से पहले जैसा दिखाई देने लगता है। यह प्रक्रिया किसी चमत्कार से कम नहीं है।

मंदिर से जुड़ी एक पौराणिक कथा भी प्रचलित है। कहा जाता है कि कुलांत नामक एक राक्षस ने ब्यास नदी का रास्ता रोककर पूरी घाटी को डुबोने का प्रयास किया। उसने अजगर का रूप धारण कर लिया और लोगों में आतंक फैलाने लगा, तभी भगवान शिव प्रकट हुए और उससे युद्ध किया। कुलांत की हार हुई और उसकी पूंछ में आग लगने से उसकी मृत्यु हो गई। माना जाता है कि जिस पर्वत पर उसका शव गिरा, वहीं बिजली महादेव मंदिर की स्थापना हुई। इसलिए इसे कुलांत पीठ भी कहा जाता है।

Point of View

बल्कि यह हिमाचल प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत का भी प्रतीक है। यहां की परंपराएं और मान्यताएँ स्थानीय लोगों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
NationPress
18/11/2025

Frequently Asked Questions

बिजली महादेव मंदिर कहाँ स्थित है?
यह मंदिर कुल्लू जिले की ऊंची पहाड़ियों पर स्थित है।
हर 12 साल में शिवलिंग पर क्या होता है?
हर 12 साल में आकाशीय बिजली गिरने से शिवलिंग चकनाचूर हो जाता है।
शिवलिंग को कैसे पुनर्स्थापित किया जाता है?
टूटे हुए टुकड़ों को मक्खन और सत्तू के लेप से जोड़कर पुनर्स्थापित किया जाता है।
इस मंदिर की पौराणिक कथा क्या है?
कहा जाता है कि कुलांत नाम का राक्षस ब्यास नदी का रास्ता रोकने आया था और भगवान शिव ने उसका वध किया।
इस मंदिर को कुलांत पीठ क्यों कहा जाता है?
क्योंकि राक्षस कुलांत की मृत्यु उसी पर्वत पर हुई थी जहां मंदिर की स्थापना हुई।
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