क्या हिमाचल प्रदेश में बदलते मौसम से बच्चों में सर्दी-जुखाम की समस्याएँ बढ़ रही हैं?
सारांश
Key Takeaways
- बदलते मौसम में बच्चों का स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है।
- गर्म कपड़े और गुनगुना पानी महत्वपूर्ण हैं।
- आयुर्वेदिक नुस्खे जैसे तुलसी और हल्दी का उपयोग करें।
- बाजार की दवाइयों से बचें, चिकित्सक की सलाह लें।
- संतुलित आहार और स्वच्छता पर ध्यान दें।
चंबा, २५ अक्तूबर (राष्ट्र प्रेस)। बदलते मौसम ने हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को बढ़ा दिया है, खासकर छोटे बच्चों में सर्दी-जुखाम, खांसी और हल्के बुखार के मामलों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।
मौसमी बदलाव को ध्यान में रखते हुए जिला आयुर्वेदिक अस्पताल बालू के आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. कुलविंदर संधू ने अभिभावकों को सलाह दी है कि वे बच्चों की सेहत का ध्यान रखने के लिए पारंपरिक और आयुर्वेदिक उपायों का सहारा लें।
डॉ. संधू ने बताया कि मौसमी परिवर्तन के समय बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है, जिसके कारण वे जल्दी संक्रमण का शिकार बनते हैं। उन्होंने कहा कि इस समय बच्चों को मौसम के अनुसार गर्म कपड़े पहनाना, गुनगुना पानी पिलाना और ठंडी व बासी चीजों से दूर रखना आवश्यक है।
आयुर्वेद के अनुसार, तुलसी, अदरक, मुलेठी, हल्दी और शहद जैसे प्राकृतिक तत्व सर्दी-जुखाम से बचाव में अत्यंत प्रभावी होते हैं।
डॉ. संधू ने बताया कि सुबह खाली पेट गुनगुने पानी में थोड़ा शहद और हल्दी मिलाकर देने से बच्चों को गले की खराश और खांसी में राहत मिलती है। इसके अतिरिक्त, रात में सोने से पहले हल्दी वाला दूध भी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करता है।
उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि अभिभावक बिना चिकित्सकीय परामर्श के बाजार में मिलने वाली ठंडी दवाइयों या सिरप का सेवन बच्चों को न कराएं। इनसे तत्काल राहत तो मिलती है, पर लंबे समय में नुकसान हो सकता है।
डॉ. संधू ने कहा कि बच्चों के संतुलित आहार, पर्याप्त नींद और स्वच्छ वातावरण पर विशेष ध्यान देना चाहिए। हरी सब्ज़ियां, मौसमी फल और घर का ताजा बना भोजन रोगों से बचाव में मदद करता है। हल्का व्यायाम और सुबह की धूप बच्चों के लिए सबसे अच्छा प्राकृतिक टॉनिक है।
उन्होंने कहा कि थोड़ी सावधानी और आयुर्वेदिक दिनचर्या अपनाकर मौसमी बीमारियों से आसानी से बचा जा सकता है और बच्चों का स्वास्थ्य लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है।