क्या हिमाचल प्रदेश की महिलाएं मोटे अनाज के उत्पाद बेचकर आत्मनिर्भर बन रही हैं?

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क्या हिमाचल प्रदेश की महिलाएं मोटे अनाज के उत्पाद बेचकर आत्मनिर्भर बन रही हैं?

सारांश

नाहन में महिलाओं ने मोटे अनाज से बने उत्पादों के माध्यम से आर्थिक स्वतंत्रता की ओर कदम बढ़ाए हैं। जानें, कैसे 'नमामि गंगे प्रोजेक्ट' के तहत यह पहल उन्हें सशक्त बना रही है।

Key Takeaways

  • महिलाओं को मोटे अनाज से बने उत्पादों की जानकारी दी जा रही है।
  • इस पहल के माध्यम से महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं।
  • गंगा की स्वच्छता के लिए जागरूकता फैलाई जा रही है।
  • स्वास्थ्य के लिए मोटे अनाज के सेवन के फायदे बताए जा रहे हैं।
  • संरक्षण और विकास का संतुलन बनाए रखना आवश्यक है।

नाहन, १० अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। हिमाचल प्रदेश के नाहन में केंद्र सरकार के भारतीय वन्य जीव संस्थान द्वारा 'नमामि गंगे प्रोजेक्ट' के तहत स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को मोटे अनाज से बनने वाले विभिन्न खाद्य पदार्थों के बारे में जागरूक करने के लिए कार्यशाला का आयोजन किया गया।

इस कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने स्थानीय ग्रामीण महिलाओं को बताया कि वे किस प्रकार मोटे अनाज का उपयोग कर सकती हैं। खाद्य उत्पाद बेचकर ये महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं।

प्रोजेक्ट समन्वयक अनुपमा ने मीडिया को बताया कि भारतीय वन्यजीव संस्थान द्वारा 'नमामि गंगे प्रोजेक्ट' को चलाया जा रहा है, जिसका उद्देश्य गंगा के जलीय जीवों और वनस्पतियों को बचाना है। गंगा बेसिन में रहने वाले समुदाय को हम जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। हम लोगों को इस बात के लिए जागरूक कर रहे हैं कि अपने आसपास की सफाई कैसे रखें, जिसके तहत गंगा को स्वच्छ रखने के लिए गंगा प्रहरी बनाए जा रहे हैं। इसके तहत एक कार्यक्रम जलज के माध्यम से मोटे अनाज के सेवन के लिए भी जागरूकता फैलाई जा रही है।

इसी कड़ी में रामपुरघाट में स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं को मोटे अनाज से विभिन्न खाद्य पदार्थ बनाने की विधि सिखाई गई है। ये महिलाएं इन पदार्थों को बेचकर आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रही हैं। जहां मोटा अनाज हमारी भूमि के लिए लाभदायक है, वहीं इसका सेवन हमारे स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है।

गंगा प्रहरी बबीता कौशल ने बताया कि इस कार्यशाला में मोटे अनाज से लड्डू, रोटी, पंजीरी और हलुवा बनाने के तरीके बताए गए। इन उत्पादों की बिक्री से हम आर्थिक रूप से सशक्त हो रहे हैं। श्यामा तोमर ने कहा कि हमें मोटे अनाज से खाद्य पदार्थ बनाने की रेसिपी साझा की जा रही है। मोटे अनाज से बनी रोटी में फाइबर होता है, जो स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी है, खासकर शुगर के रोगियों के लिए।

Point of View

बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसे एक राष्ट्रीय दृष्टिकोण से देखना आवश्यक है, जहां समुदाय के विकास और संवर्धन के साथ-साथ पारिस्थितिकी संतुलन को भी बनाए रखा जा सके।
NationPress
10/08/2025

Frequently Asked Questions

क्या मोटे अनाज से बने उत्पाद स्वास्थ्य के लिए अच्छे होते हैं?
हाँ, मोटे अनाज से बने उत्पाद फाइबर से भरपूर होते हैं और स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं।
नमामि गंगे प्रोजेक्ट का उद्देश्य क्या है?
इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य गंगा नदी के जलीय जीवन और वनस्पतियों को संरक्षित करना है।
ये कार्यशालाएं कब और कहाँ आयोजित की जाती हैं?
ये कार्यशालाएं हिमाचल प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर आयोजित की जाती हैं, जैसे नाहन और रामपुरघाट।
स्वयं सहायता समूह की महिलाएं किस प्रकार सशक्त हो रही हैं?
महिलाएं मोटे अनाज से बने उत्पाद बेचकर आर्थिक स्वतंत्रता की ओर बढ़ रही हैं।
क्या मोटे अनाज से रेसिपी सीखी जा सकती है?
जी हाँ, इन कार्यशालाओं में महिलाओं को विभिन्न मोटे अनाज की रेसिपी सिखाई जाती हैं।